आईएसडी नेटवर्क। विश्वभर के देशों के पासपोर्ट का आंकलन करने वाले हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारत का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है। सन 2023 से भी बुरा प्रदर्शन करते हुए भारतीय पासपोर्ट नीचे फिसलकर 85वें स्थान पर आ गया है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में पासपोर्ट की क्षमता वीज़ा फ्री एक्सेस से मापी जाती है। जहाँ एक ओर हमारा मीडिया और हमारी सरकार ये ढोल पीट रहे हैं कि भारत की साख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर हमारा पासपोर्ट लगातार कमज़ोर होता जा रहा है। एक ओर पासपोर्ट कमज़ोर हो रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत छोड़कर जा रहे नागरिकों की संख्या में भी तेज़ी आ गई है।
विश्वभर के देशों के पासपोर्ट का आंकलन करने वाले हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट की वर्तमान स्थिति 85वीं है। यदि हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारत की हिस्ट्री देखी जाए तो भारतीय पासपोर्ट का ‘मोबिलिटी स्कोर’ ऊपर-नीचे होता रहा है। सन 2006 में ये 71वीं पायदान पर हुआ करता था। इसके बाद भारतीय पासपोर्ट की रेटिंग में गिरावट लगातार जारी रही। जब सन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आई, तब भी रेटिंग में गिरावट नहीं रुकी। सन 2014 में ये गिरकर 76 पर आ गई।
अगले ही साल 2015 में भारतीय पासपोर्ट 12 पायदान गिरकर 88 पर आ गया। सन 2021 में भारतीय पासपोर्ट 2006 से लेकर अब तक के सबसे निचले स्तर 90 तक जा गिरा। सन 2022 में सात अंकों के सुधार के साथ रेटिंग 83 पर जा पहुंची। इसके बाद ये फिर गिरने लगी। इसका सीधा मतलब ये होता है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय पासपोर्ट की हैसियत गिरती चली गई है। जबकि हमारा मीडिया और सरकार दावा करती है कि मोदी सरकार में हमारे पासपोर्ट की ताकत बढ़ी है।
इस समय भारतीय पासपोर्ट पर 62 देशों में वीज़ा फ्री एंट्री है। पासपोर्ट की क्षमता इससे ही नापी जाती है कि वह कितने देशों में फ्री वीजा से एंट्री ले सकता है। एक तरफ पासपोर्ट की हैसियत गिरती रही और दूसरी ओर देश छोड़कर जाने वाले नागरिकों की संख्या बढ़ती रही। सन 2023 की जुलाई में विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी कि 2014 से जून 2023 तक 13 लाख 75 हजार से अधिक भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। साल 2015 से 2020 के बीच आठ लाख से ज़्यादा लोगों ने नागरिकता छोड़ दी थी।
2020 में इन आंकड़ों में कमी देखने को मिली थी, लेकिन इसके पीछे की वजह कोरोना माना जा रहा है। कोरोना समाप्त होते ही लोगों के देश छोड़ने का आंकड़ा फिर बढ़ा। 2021 में भारत से लगभग 1.63 लाख लोगों ने विदा ले ली। सन 2022 में भारत से सबसे अधिक लोगों ने विदा ली। इस साल लगभग ढाई लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी। ये इस बात का संकेत है कि लाखों लोग इस सरकार की कार्यशैली से असंतुष्ट हैं। बहुत से लोगों ने तो देश छोड़ने में ही भलाई समझी।
आज से बहुत वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्त्ता में आने से पूर्व अप्रवासी भारतीयों से वीडियो कॉन्फ्रेंस पर चर्चा की थी। उस समय मोदी ने कहा था कि वे एक ऐसा भारत चाहते हैं, जहाँ का वीज़ा लेने के लिए अमेरिका लाइन लगाए। हालांकि उनके सत्ता में आने के बाद भारतीय पासपोर्ट की साख लगातार गिरती चली गई है। दूसरी ओर सरकार की नीतियों से असंतुष्ट लोग देश छोड़कर जाने लगे हैं।