अर्चना कुमारी। मुंडका में लगी भीषण आग में देवदूत बनकर आए दयानंद तिवारी और अनिल तिवारी बिहार राज्य के सिवान के महाराजगंज के रहने वाले हैं। दोनों दिल्ली के राजधानी पार्क, नांगलोई में अपने परिवार के साथ रहते हैं और एक निजी कंपनी में हाइड्रा क्रेन चलाते हैं। उन्होंने बताया कि घटना के दिन वह मुंडका गली नंबर 4 से वापस लौट रहे थे। उनके मालिक सुरेश ढांडा ने उन्हें वहां पर भेजा था ।
जहां से वापस लौटने के दौरान उसने देखा की एक इमारत में भीषण आग लग गई है। इस पर उन्होंने डिवाइडर को तोड़ते हुए उस स्थल पर पहुंचे, जहां चीख पुकार मची हुई थी और इमारत में फंसे लोग आग में घिरे होकर मदद मांग रहे थे। आनन-फानन में उन्होंने इमारत के सामने अपने क्रेन को खड़ा किया और स्थानीय लोगों की मदद से कई जिंदगियां बचा ली।
दयानंद तिवारी बताते हैं कि मौके पर शोरगुल ,अफरा-तफरी तथा चीख-पुकार मची थी और वह किसी भी तरह आग में फंसे लोगों को बाहर निकालना चाहते थे। इस काम में मदद उसके रिश्तेदार अनिल तिवारी ने किया। जो उस वक्त क्रेन पर मौजूद था। दोनों ने मिलकर इमारत में फंसे लोगों को क्रेन के जरिए शीशे तोड़कर नीचे उतारा ।
दयानंद तिवारी की मानें तो करीब 50 से 60 जिंदगियां उन्होंने बचाई है। स्थानीय लोगों का भी कहना था कि मौके पर दमकल कर्मी काफी देर से पहुंचे थे और दोनों क्रेन लेकर वहां नहीं पहुंचते तो कई जिंदगियां तबाह हो जाती। स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों क्रेन ड्राइवर आग की लपटों से घिरे इमारत में फंसे लोगों के लिए मसीहा साबित हुआ।
मुंडका अग्निकांड में अनिल और दयानंद पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने स्तर से राहतकार्य शुरू किया और स्थानीय लोगों की मदद से कई लोगों की जान बचाई। दयानंद बताते हैं कि आग में अधिकतर महिलाएं फंसी थी और उन्होंने कई महिलाओं को सुरक्षित नीचे उतारा। हालांकि, उसे इस बात का दुख है कि वो और अधिक लोगों की जान नहीं बचा सका क्योंकि आग बहुत तेजी से फैल रही थी। अनिल तिवारी और
दयानंद ने दिल दहला देने वाली घटना को याद करते हुए कहा कि अग्निशमन की टीम आग लगने के करीब डेढ़ घंटे बाद मौके पर पहुंची थी लेकिन इससे पहले वह दोनों कई लोगों की जिंदगी बचा चुके थे। उन्होंने कहा, बाद में आग ने भयावह रूप ले लिया जिसके बाद हम लोगों की मदद नहीं कर पाए। इस दौरान उसके क्रेन मालिक भी मौके पर आ गए जिन्होंने दोनों को शाबाशी दी।
दयानंद के परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं जबकि अनिल के परिवार में एक बच्चा है। लेकिन इनकी बहादुरी को लेकर अब तक कोई भी प्रशासन पुरस्कृत करने नहीं पहुंचा है लेकिन इसके बावजूद वह कभी भी किसी को भी मदद करने को तैयार हैं। गौरतलब है कि मुंडका अग्निकांड में 27 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है जबकि कई लोगों के लापता होने की बात सामने आ रही है हालांकि इस बारे में अभी छानबीन चल रही है ।