मुद्दा हीन विपक्ष इस समय उस दौर से गुजर रहा है जो रस्सी को भी सांप समझने के लिए तैयार है, राहुल गाँधी बड़े जोश में बोल तो गए कि उनके पास प्रधानमंत्री के खिलाफ सबूत है और जिन्हें प्रस्तुत करते ही देश की राजनीति में भूकंप आ जायेगा लेकिन राहुल गाँधी ने जिन सबूतों के आधार पर भूकंप लाने का दावा कर रहे थे, उसे कोर्ट ने पहले ही निराधार घोषित किया हुआ है। बुधवार को गुजरात के मेहसाणा रैली में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने सहारा और बिड़ला से धन लिया था। इस बात के पुख्ता सबूत इनकम टैक्स के पास हैं।
दरअसल जिन सबूतों की बात राहुल कर रहे हैं उन्ही को आधार बना कर वकील प्रशांत भूषण सहारा समूह से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर मोदी के खिलाफ एक याचिका दायर चुके हैं जिसमें मोदी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए लिखा था कि 2013 में नरेंद्र मोदी को सहारा ने बड़ी राशि का भुगतान किया है। न्यायमूर्ति जे एस खेहर ने इसे अप्रमाणिक मानते हुए भूषण को फटकार लगाते हुए कहा कि “Are you relying on Sahara’s documents? They never have genuine documents”. प्रशांत भूषण को न्यायमूर्ति जे एस खेहर और अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को सिद्ध करने वाले “विश्वसनीय” सबूतों प्रस्तुत करने के लिए कहा था।
दो सदस्यीय खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि “Any suspicion that arouses conscience is a good suspicion but your documents don’t arouse our conscience. We are not satisfied at all. Any corrupt person can make an entry in the name of the Prime Minister, but it cannot be treated as credible evidence.” कोर्ट ने आगे कहा कि “We are not shying away from hearing the case but something authentic must be placed before us. Documents seized from the premises of Birla and Sahara groups are nothing. These are zero. You must bring credible evidence,”
देश में सबसे ज्यादा शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी कब अपनी परिपक्वता दिखाएंगे? क्या वह यह पहले से नहीं जानते थे कि इस तरह का मामला पहले से ही कोर्ट में लंबित है या फिर सिर्फ सनसनी फ़ैलाने के लिए जोश जोश में बोल गए। उनके इस तरह के वक्तव्यों से उनकी राजनैतिक अपरिपक्वता साफ़ झलकती है और उपहास के पात्र होते हैं सो अलग! कांग्रेस के उपाध्यक्ष होने के नाते कम से कम अपने शब्दों के चयन और वास्तविकता की पहचान तो उन्हें होनी ही चाहिए। हालांकि इन्ही आरोपो को आधार बना कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल तो एक कदम आगे निकल गए और आनन फानन एक सत्र भी बुला लिया, केजरीवाल ने भी प्रधानमंत्री के खिलाफ झूठा प्रचार किया कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए सहारा और बिरला समूह से धन अर्जित किया।
राहुल गाँधी और केजरीवाल को शायद यह भी पता नहीं होगा कि प्रधानमंत्री पर लगे आरोपों पर हुए सर्वे के दौरान लोगों से पूछे सवालों के जवाब में 82.7 प्रतिशत लोगों का मानना था कि मोदी पर लगे आरोप निराधार हैं, केवल 17.3 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री पर लगे हुए आरोपो को सच मान रहे हैं। ज्ञात हो कि सर्वे में मध्यम आय एवम उच्च आय वर्ग, शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों के निम्न आय वर्ग के लोगों भिन्न-भिन्न लोगों से सवाल किए गए थे।
राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल केवल आरोप प्रत्यारोप की ही राजनीति मत करिये। राजनीति के लिए नीतियों का होना आवश्यक है। जो प्रधानमंत्री मोदी के पास है। उन नीतियों ने जनता को भरोसा भी दिया है। यह मैं नहीं कह रहा!सर्वे कह रहा है! जनता का विश्वास कह रहा है, जो नोट बंदी के बाद परेशानी उठाते हुए लाइन में भी खड़ी है और मोदी के समर्थन में भी!