अर्चना कुमारी ।नई दिल्ली। यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट ने आज हिंदूवादी नेता दारा सिंह को आजीवन कारावास की सजा पूरी हो जाने के बावजूद रिहा नहीं किए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट की लीगल सेल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सीनियर एड्वोकेट डा. ए.पी. सिंह द्वारा आज सुप्रीम कोर्ट में जिरह की गयी।
ओडिसा हाईकोर्ट ने दारा सिंह की फांसी की सजा को आजीवन कारवास में बदला था। 2000 के बाद से दारा सिंह ओडिसा के केंदुझार जिला जेल में बंद है और पिछले 23 साल से बिना किसी बैल या पैरोल के जेल में बंद है जबकि इसी दौरान उनके माता-पिता की मृत्यु भी हो चुकी है तब भी उनको पैरोल तक नहीं दी।
जबकि आईपीसी की धारा 55 के तहत आजीवन करावास की सजा आफता कैदियां को 14 साल में छोड़ने का प्रावधान है। गोयल ने कहा कि आईपीसी की धारा 57 के तहत आजीवन करावास के तुल्य है इसी के साथ सीआरपीसी की धारा 31ए, 432, 435ए चीख-चीख कर कहती है कि आजीवन करावास के कैदी को 14 साल से ज्यादा सजा नहीं दी जा सकती और दारा सिंह लगातार 23 साल से जेल में हैं। 3 अगस्त 2021 में मा. सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि राष्ट्रपति, राज्यपाल व सरकार इन तीनां को संविधान के तहत अधिकार है कि वो कैदी को 14 साल या इससे पहले रिहा करें।
यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व भाजपा नेता जयभगवान गोयल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व राज्यपाल ओड़िसा को ज्ञापन देकर मांग की है कि दारा सिंह को तत्काल रिहा किया जाए। हाल ही में स्वामी लक्ष्मानानंद जी के हत्यारां को जिन पर दोष सिद्ध हो चुका था को मा. सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल में छोड दिया है।
गोयल ने बताया कि ईसाई मिशनरी द्वारा हिंदुओं के अवैध धर्मातरण का विरोध करने वाले दारा सिंह ने जानबूझकर कर अपराध नहीं किया था और ना ही वह आदतन अपराधी है। फिर भी दारा सिंह ने न्यायालय द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा पूरी कर ली गई। उनके साथ के सभी 37 आरोपियों को छोड़ दिया गया लेकिन दारा सिंह अभी भी पिछले 23 वर्षों से जेल में ही है।