हर जेहाद से इन्हें बचा लो
स्वार्थी , लोभी , लालची , निष्ठुर , हृदय की हीन ;
ज्यादातर हिंदू की बहुयें , क्यों सद्गुणों से हीन ।
पता नहीं मां-बाप हैं कैसे ? कैसी उनको शिक्षा दी ?
अपने बच्चे तक न देखे , जैसे बेमन से भिक्षा दी ।
नये-नये फैशन अपनातीं , रेस्टोरेंट में खाना है ;
खा-खाकर हो रही है मोटी , घर-घर का अफसाना है ।
धर्म-शास्त्र से कुछ न मतलब , ईश-कृपा कैसे पायेगी ?
जगह – जगह जेहाद चल रहे , कैसे ये बच पायेगी ?
राजनीति भी नहीं समझती , बस सतही जानकारी है ;
ब्यूटी-पार्लर तीर्थ-स्थल इनका , जाने कैसी लाचारी है ?
हिंदू-धर्म नष्ट करने का , अंतर्राष्ट्रीय-षड़यंत्र चल रहा ;
अब्बासी-हिंदू दलाल है इसका,जोर शोर से काम कर रहा ।
पुरस्कार इस वजह से पाता , अब्राहमिक सारे-देशों का ;
जैसे श्वान गले में पट्टा , मालिक के आदेशों का ।
धर्महीन जब बहुयें होतीं , परिवार भ्रष्ट हो जाता है ;
धीरे-धीरे इसी तरह से , पूरा – समाज मिट जाता है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , इससे पहले कि मिट जाओ ;
समय बचा है केवल थोड़ा , बच सकते हो तो बच जाओ ।
अपने घर के माहौल को बदलो, पूरी तरह धर्ममय कर लो ;
लगाम कसो बेटी व बहू की , हर जेहाद से इन्हें बचा लो ।
धन-दौलत का लालच छोड़ो , ये तो आनी -जानी है ;
तेरा सब-कुछ धरा रहेगा , जब गर्दन कट जानी है ।
हिंदू ! तेरा नहीं है कोई , क्या कानून क्या शासन है ?
तृप्तिकरण में लिप्त हैं सारे , न कोई अनुशासन है ।
जब भी तुम पर हमला होगा , कोई नहीं बचाने वाला ;
आपस में भी एक नहीं हो , पता नहीं क्या होने वाला ?
आपस के सब झगड़े छोड़ो , सारे – हिंदू एक हों ;
अंतिम – मार्ग यही बचने का , युद्ध-वीर हर-एक हो ।
लोकतंत्र का युद्ध चल रहा , आम-चुनाव कहाता है ;
अब्बासी-हिंदू की हार जरूरी , जो हिंदू-धर्म मिटाता है ।
धर्म-विरोधी इसकी साजिश, जगह-जगह मंदिर तुड़वाये ;
शास्त्रविरुद्ध हर कार्य कर रहा, तीर्थ-स्थल भी भ्रष्ट कराये ।
अबकी चुनाव में इसे हराकर , भारतवर्ष बचाना है ;
कानून का शासन बहुत जरूरी , अच्छी-सरकार बनाना है ।