अर्चना कुमारी अगर दो वयस्क सहमति से यौन संबंध बनाते हैं तो उसे अपराध नहीं माना जा सकता है। भले ही उनकी शादी हुई हो या नहीं।
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस अमित महाजन की बेंच ने एक रेप के आरोपी को जमानत देते हुए इस तरह की टिप्पणी की। शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि यौन अपराध से जुड़े झूठे केस आरोपी की छवि को खराब करते हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि समाज के मानदंड आदर्श रूप से यौन संबंध को शादी के दायरे में मानता है, लेकिन अगर दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन संबंध बनते हैं तो उन्हें किसी अपराध के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
पीड़ित महिला ने आरोप लगाया था कि पुरुष ने उसके साथ जबरन कई बार यौन संबंध बनाए थे और शादी का वादा किया था। बाद में महिला को आरोपी के शादीशुदा होने और दो बच्चों की जानकारी मिली थी। जिसके बाद उसने मामला दर्ज कराया था।
महिला का आरोप था कि आरोपी उससे गिफ्ट मांगता था। इसके बाद उसने आरोपी को डेढ़ लाख रुपये नगद भी दिए थे। अदालत ने कहा कि घटना के समय महिला बालिग थी।
कोर्ट ने कहा कि जमानत के समय यह स्थापित नहीं किया जा सकता कि शादी के वादे से उसकी सहमति प्रभावित हुई थी। इससे साफ है कि महिला शिकायत दर्ज कराने के कुछ समय पहले तक आरोपी से मिल रही थी और शादीशुदा होने की जानकारी के बाद भी रिश्ता जारी रखना चाह रही थी।
कोर्ट ने कहा कि आरोपी मार्च 2023 से हिरासत में है, ऐसे में उसे जेल में रखने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। इसलिए जमानत दी जाती है।