दिल्ली दंगे को लेकर एक बैनर राजधानी में चर्चा का विषय बना हुआ है। होर्डिंग में लिखा है “जो ताहिर का यार है, वो दिल्ली का गद्दार है”।
चर्चा इस वजह से कि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने पिछले दिनों यह आरोप लगाया था की दिल्ली दंगे और शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में हुए प्रदर्शन में बीजेपी का हाथ है। कहा जा रहा है कि यह बैनर भाजपा द्वारा आम आदमी पार्टी को उसी की भाषा में जवाब है। यह किसी से छुपा नहीं है कि ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी से पार्षद था, और उसकी गिरफ्तारी का पार्टी के सांसद संजय सिंह, विधायक अमानतुल्लाह खान आदि ने विरोध किया था। अमानतुल्लाह खान ने तो ताहिर के परिवार को मैदान में उतार कर ‘मुस्लिम विक्टिम कार्ड’ भी खेला था।
इस बीच बैनर में नजर आ रहे दिल्ली दंगे के मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। वह भी जेल से बाहर आने के लिए भाई की तरह छटपटा रहा है।
दरअसल दिल्ली दंगे में शामिल रहा आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम ने अपनी जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान शाह आलम की ओर से वकील जेड बाबर चौहान ने कहा कि आरोपी 29 साल का है और उसे 8 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। शाह आलम को पहले एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उसे आठ अन्य झूठे केसों में फंसा दिया गया । याचिका के समर्थन में कहा गया शाह आलम और ताहिर हुसैन भाई जरुर हैं, लेकिन दोनों के रिश्ते खराब हैं और दोनों अलग-अलग पार्टियों से ताल्लुक रखते है। वह घर का अकेला कमाने वाला सदस्य है। उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में तीन दिन की देरी की गई थी।
वकील ने बचाव में दलील दिया कि शाह आलम के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है जबकि इस मामले को लेकर गवाह प्रदीप कुमार वर्मा, राजबीर सिंह यादव और सुरेंद्र फर्जी गवाह हैं। वकील ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है, इसलिए इस मामले में हिरासत में रखने की कोई जरुरत नहीं है।
इस पर जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता ताजवीर सिंह ने 27 फरवरी को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उसके छोटे भाई की बेटी की शादी 25 फरवरी को करावल नगर रोड के भरत वाटिका में होनी तय हुई थी और इस वाटिका के पास ही ताहिर हुसैन का घर है। 24 फरवरी को जब दंगा शुरु हुआ तो उस दिन ताहिर हुसैन के घर की छत पर दो-तीन सौ लोग जमा हो गए थे।उन लोगों ने ताहिर हुसैन की छत से पेट्रोल बम और पत्थर फेंके जिससे शादी की सारी तैयारी नष्ट हो गई और बाद में दंगाइयों ने मौके पर आकर 62 हजार रुपये लूट लिए लिए थे।
शिकायतकर्ता का दावा था कि दंगाइयों को पत्थरबाजी और पेट्रोल बम फेंकने के लिए ताहिर हुसैन उकसा रहा था और उसका भाई भी दंगाइयों में शामिल था। मौके पर मौजूद शाह आलम ने ताहिर हुसैन के कहने पर दूसरे असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया।
शाह आलम आठ दूसरे मामलों में भी अभियुक्त है और शाह आलम उसी इलाके में रहता है, जहां दूसरे गवाह रहते हैं। इसलिए अगर उसे जमानत दी जाती है, तो गवाहों को धमका सकता है और इस तरह दो समुदायों में फिर से सदभाव समाप्त होने की आशंका है । इस दलील को सुनने के बाद एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
गौरतलब हो कि ताहिर हुसैन ने भी जेल से बाहर आने के लिए कई बार जमानत याचिका लगाई है, लेकिन उसकी भी याचिका को खारिज कर दिया गया है।