स्वामी नित्यानंद द्वारा स्थापित हिंदू राष्ट्र कैलासा फिर विवादों में है। UN में कैलासा की प्रतिनिधि ने ज्योंही भारत में स्वामी नित्यानंद और हिंदुओं पर उत्पीड़न की बात उठाई, मीडिया उन पर टूट पड़ी। सूत्रों के अनुसार भारत सरकार भी इससे काफी रुष्ट थी, जिसके बाद कैलासा का सर्टिफिकेट रद्द करने का दबाव UN पर पड़ने लगा। इसके बाद अमेरिका की नेवार्क सिटी ने कैलासा के साथ हुए समझौते को रद्द करते हुए यह आरोफ लगा दिया कि उनको धोखे में रखकर यह समझौता किया गया था।

इस पूरे मुद्दे पर कैलासा का पक्ष जानने के लिए #ISD ने उनकी टीम से संपर्क किया। उनकी ओर से जो अनऑफिशियल बयान IndiaspeaksDaily को मिला है, उसे अक्षरशः यहां रखा जा रहा है:-
वो तो बस सिस्टर सिटी एग्रीमेंट था। उससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। ऐसे एग्रीमेंट हमारे बहुत सारे सिटी के साथ हैं। नेवार्क को एग्रीमेंट कैंसिल करना पड़ा होगा तो उनके अपने कारण होंगे पर अमेरिका के सीनेटर, और अन्य गणमान्य लोगों को स्वामीजी के प्रति हो रहे षडयंत्र का पता है और वो हिंदू धर्म के लिए स्वामीजी के प्रयत्नों का बहुत आदर करते हैं। डिप्लोमेसी में ऊंच नीच होती रहती है पर हम निरंतर आगे बढ़ कर हिंदू उत्पीड़न को संसार के सामने ला रहे हैं और भारत के deep state जो की धूर हिंदुविद्वेषी है सबके सामने नंगा कर रहे हैं। भारत सरकार को अब ये समझना होगा की वो हिंदुओं को अनाथ न समझे।

अयोध्या में जो कारसेवकों पर गोली चली वो अगर मुसलमानों पर या ईसाइयों पर चली होती तो क्या भारत सरकार यूं निश्चिंत रह पाती? कोई सशक्त हिंदू राष्ट्र या हिंदुओं की बात रखने वाला न होने से जो हिंदुओं का नरसंहार आसान था वो अब कैलासा के आने से नहीं रहेगा। ऐसे मुद्दे यदि भविष्य में आएंगे तो हम इसे UN सहित पूरी दुनिया में उठाएंगे।
हिंदू सिर्फ एक आस्था नहीं जीवन प्रणाली भी है उसपर जो भारत सरकार अपने सेकुलर कानून लाद कर भ्रष्ट कर रही है वो भी जगजाहिर करने का कार्य कैलासा कर रहा है।
कैलासा भारत विरोधी नहीं है कैलासा उस deep state के विरुद्ध है जो हिंदू धर्म को खोखला कर के धर्मपरिवर्तन का खूनी खेल खेलना चाहता है।