अर्चना कुमारी। भारत में रहने वाले पुरुष समाज महिलाओं की अपेक्षा अधिक तनाव में है जिसकी वजह से वह आत्महत्या कर रहे हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में आत्महत्या की प्रवृत्ति अधिक होती है । यही वजह है कि देश भर में, हर 4.45 मिनट में एक पुरुष आत्महत्या करता है, जबकि हर 9 मिनट में एक महिला खुदकुशी करती है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट जिसमें उम्र और लिंग समूह द्वारा आत्महत्या पीड़ितों के आंकड़ों का खुलासा किया गया है, इसमें कहा गया है कि महिला और पुरुष आत्महत्या पीड़ितों का अनुपात 1: 1 से 18 साल है और यह 45 में 1:5 तक बढ़ जाता है- 60 साल। यह स्पष्ट है कि जहां पुरुषों की आत्महत्या लगातार होती है, वहीं महिलाएं कमोबेश स्थिर रहती हैं। बचपन से किशोर (18 वर्ष) तक पुरुष और महिला द्वारा की गई आत्महत्या का अनुपात लगभग 1:1 पर समान था, क्रमशः 5075 और 5655 के आंकड़े के साथ।
हालाँकि, जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, पुरुषों के लिए यह अनुपात बढ़ने लगा। (18-30 वर्ष की आयु के बीच) 37941 पुरुषों और 18588 महिलाओं ने क्रमशः 2: 1 के अनुपात के साथ आत्महत्या की है। सूत्रों की माने तो साल 2021 में पूरे देश में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 1,18,979 पुरुष थे। वहीं 40026 महिलाओं ने जीवन लीला समाप्त की। पुरुष समुदाय से 1,64,033 लोगों ने की आत्महत्या, जिनमें 1,09,749 विवाहित थे बाकी अविवाहित।
इसी तरह 40026 महिलाओं ने भी अपने जीवन को खत्म कर लिया, इनमें आधे से अधिक घरेलू महिलाएं थीं। लगभग 23,178 घरेलू महिलाएं, 5,693 छात्राएं और 28 ट्रांसजेंडरों ने भी साल 2021 में आत्महत्या की। आंकड़ा कहता है आत्महत्या मामले में तमिलनाडु पहले नंबर पर है। तमिलनाडु में कुल 3,221 मामले दर्ज हुए। उसके बाद मध्य प्रदेश में 3,055 और महाराष्ट्र में 2,861 महिलाओं ने आत्महत्या की, जो राज्यवार क्रमशः 13.9 फीसदी, 13.2 फीसदी और 12.3 फीसदी है। पुरुष समुदाय से आत्महत्या करने वालों में कुल 1,64,033 में से 1,09,749 विवाहित थे, वहीं 39,421 आत्महत्या करने वाले अविवाहित।
साल 2021 के दौरान 2,485 विधवाओं ने, 788 विधुर ने और 871 तलाकशुदा या अलग हो चुके लोगों ने आत्महत्या की। साल 2021 में आत्महत्या पीड़ितों का महिला अनुपात 72.5: 27.4 था, जो कि साल 2020 के 70.9: 29.1 की तुलना में अधिक है। विशेषज्ञ मानते हैं कि महिला आत्महत्या का अनुपात विवाह संबंधी मुद्दों विशेषकर दहेज और बांझपन ज्यादा थे।
वहीं आत्महत्या करने वाले समूह में सबसे ज्यादा 18 से 30 वर्ष से कम आयुवर्ग और 30 से 45 वर्ष के आयुवर्ग से जुड़े हुए थे। इन आयुवर्ग में क्रमशः 34.5 फीसदी और 31.7 फीसदी आत्महत्या के मामले दर्ज किये गये।इनमें 18 साल से कम आयुवर्ग में 3,233 ने पारिवारिक समस्याओं के कारण, 1,495 ने प्रेम संबंध और 1,408 ने बीमारी के कारण आत्महत्या की। साल 2021 में कुल 28 ट्रांसजेंडरों ने भी आत्महत्या की।
इन 28 ट्रांसजेंडरों में से 9 बेरोजगार थे, 7 दैनिक वेतन भोगी थे, 2 स्वरोजगार कर रहे थे और 1 का संबंध घरेलू कामकाज से था। वहीं 8 अन्य भी अलग-अलग श्रेणियों में कार्यरत थे।साल 2021 में पारिवारिक समस्याएं और बीमारी के कारण क्रमशः 33.2 फीसदी और और 18.6 फीसदी लोगों ने आत्महत्या की। वहीं मादक द्रव्यों के सेवन या शराबखोरी के कारण 6.4 फीसदी, विवाह संबंधी मुद्दे में 4.8 फीसदी, प्रेम संबंधी मुद्दे में 4.6 फीसदी, दिवालियेपन के कारण 3.9 फीसदी, बेरोजगारी के कारण 2.2 फीसदी, परीक्षा में फेल होने के कारण 1.0 फीसदी, पेशेवर कैरियर की समस्या के कारण 1.6 फीसदी और गरीबी के कारण 1.1 फीसदी लोगों ने अपनी जान दे दी