अर्चना कुमारी । कानपुर देहात के एक गांव में सोमवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान मां-बेटी की कथित तौर पर जलकर मौत हो गई। मामला कथित तौर पर आत्मदाह का है या फिर आग लगाकर जला कर मारने का, जांच जारी है। इस बीच बुधवार को दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया और इस मौके पर भारी भीड़ जमा हुई ।
बताया जाता है कि मामले को लेकर उप जिलाधिकारी, थानाध्यक्ष, चार लेखपालों, एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों सहित 39 लोगों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास के अलावा मवेशियों को मारने या अपंग करने, घर को नष्ट करने के इरादे से आग लगाने और जानबूझकर अपमान करने के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अंतिम संस्कार करने के बाद महिला मृतक प्रमिला के बेटे शिवम ने कहा कि उन्हें और उनके भाई को एक करोड़ की सरकार के द्वारा अनुग्रह राशि तथा सरकारी नौकरी और घर दी जाएगी ।
उसका कहना था कि उसे उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने कहा है कि उसकी मांग जल्द पूरी कर दी जाएगी। इसके बाद ही उसने अंतिम संस्कार किए जाने का फैसला किया। गौरतलब है कि सोमवार शाम कानपुर देहात जिले के रूरा थाना इलाके के मडौली गांव में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान सोमवार को एक अधेड़ उम्र की महिला और उसकी बेटी ने कथित तौर पर अपनी झोपड़ी में खुद को आग लगा ली, जिससे दोनों की मौत हो गयी थी। दोनों ब्राह्मण समुदाय से थी और उनकी पहचान प्रमिला दीक्षित (45) और उनकी बेटी नेहा दीक्षित (20) के रूप में हुई।
दवा किया गया है कि दोनों मां बेटी ग्राम समाज भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए गए पुलिस, जिला प्रशासन और राजस्व टीम के सामने यह घातक कदम उठाने को मजबूर हुई थी ।
बताया जाता है कि पीड़ितों को बचाने के प्रयास में रूरा थाना के प्रभारी निरीक्षक दिनेश गौतम और पीड़ित प्रमिला के पति झुलस गए। बाद में घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ और आक्रोशित परिजनों और उनके समर्थकों ने लेखपाल अशोक सिंह की पिटाई कर दी, जिसके बाद अतिक्रमण रोधी टीम वहां से भाग गयी थी । कानपुर पुलिस का कहना है कि इस मामले को लेकर कई लोगों को हिरासत में लिया गया जबकि एक आरोपी को अधिकारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस का कहना है कि पीड़ितों के घर को गिराने में इस्तेमाल की गई जेसीबी को जब्त कर लिया गया लेकिन इससे पहले पीड़ित परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने मां-बेटी के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से इनकार कर दिया। बाद में मामले में बचाव करते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग से पीड़ित परिवार से बात की और मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। इसके बाद परिजन शव उठाने के लिए राजी हुए। फॉरेंसिक टीम ने शव उठाकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया और बाद में दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
उत्तेजित परिजनों का कहना था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने के बाद ही पुलिस को शव परीक्षण के लिए ले जाने की अनुमति दी जाएगी लेकिन मामले में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के दखल करने के बाद मां बेटी का अंतिम संस्कार किया गया। वर्तमान में कानपुर देहात में दो महिलाओं की मौत के बाद इलाके में तनाव को देखते हुए गांव और उसके आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और इस मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है ।
पुलिस अधीक्षक (कानपुर देहात) बीबीजीटीएस मूर्ति ने बताया कि पीड़ित प्रमिला दीक्षित के बेटे शिवम दीक्षित के खिलाफ ‘ग्राम समाज’ की जमीन पर कब्जा करने की शिकायत की गई थी।, इस अतिक्रमण को हटाने के लिए एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम वहां गई। अतिक्रमण हटाने के दौरान बताया जाता है कि तभी मां-बेटी ने आत्मदाह कर लिया। बाद में शिवम की शिकायत पर एसडीएम (मैथा), जेसीबी चालक (दीपक), मदौली के लेखपाल अशोक सिंह, तीन अज्ञात लेखपाल, एक अज्ञात कानूनगो (राजस्व अधिकारी), थाना प्रभारी (रूरा) दिनेश कुमार गौतम और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया ।
इस घटना को लेकर प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई है और घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने ट्वीट में कहा कि योगी जी (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) आपके जल्लाद और बेरहम और अमानवीय प्रशासन द्वारा की गयी ये हत्या है,’योगी सरकार में लगातार ब्राह्मण परिवार निशाना बनाये जा रहे हैं ।
इस घटना से जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें दिख रहा है कि एक महिला चिल्लाते हुए दौड़कर झोपड़ी में जाती है। वह अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है। पुलिस वहां पहुंचती है। दरवाजा तोड़ देती है। इसी दौरान, झोपड़ी में आग लग जाती है। महिला और उसकी बेटी अंदर थीं। फिर चिल्लाने की आवाज आती है.आग लगा दी।
पुलिस जलती हुई झोपड़ी को बुलडोजर से गिरा देती है। पुलिस फोर्स और अफसरों के सामने दोनों की जिंदा जलकर मौत हो गई। एक और वीडियो में महिला के बेटे की आवाज आती है…वह जलती हुई आग को देखकर रोते-बिलखते कह रहा है कि हाय दैया.. देखो मेरी मम्मी जल रहीं हैं…।
महिला के प्रति गोपाल कृष्ण दीक्षित का कहना था कि बुलडोजर लेकर एसडीएम और तहसीलदार आए थे। इनके साथ अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, पुतनिया और गांव के कई लोग और भी थे।
ये लोग अधिकारियों से बोले कि आग लगा दो तो अफसरों ने आग लगा दी। उनकी पत्नी और बेटी ने आत्मदाह नहीं किया है, जबकि हम लोग (बेटा और मैं) तो किसी तरह झोपड़ी से बाहर निकले, लेकिन मां-बेटी अंदर रह गई और जलकर उनकी मौत हो गई। हम लोगों को जलता हुआ छोड़कर ही अफसर लोग भाग गए। किसी ने कोई मदद नहीं । उनके बेटे ने भी आरोप लगाया था कि एसडीएम, एसओ, लेखपाल सभी ने मिलकर मेरे घर में आग लगा दी। मैं और पिता बाहर नहीं निकलते तो हम भी मारे जाते। झोपड़ी के बाहर मंदिर व नल को भी तोड़ दिया। इसके पहले भी डीएम के यहां पर गए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी।