अर्चना कुमारी। याचिकाकर्ता ने ट्रेनों में हॉर्न बजाने को लेकर के उपयोग को लेकर ध्वनि प्रदूषण के आधार पर उसपर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन एनजीटी ने इसे खारिज कर दिया। बताया जाता है कि ट्रिब्यूनल ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाना जरूरी है। वहीं दूसरी ओर रेलवे बड़ी संख्या में लोगों की सेवा करता है और उससे उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण को दूर नहीं किया जा सकता है।
एनजीटी ने टिप्पणी की है कि हॉर्न का उपयोग चेतावनी के रूप में किया जाता है। वैकल्पिक विकल्पों के अभाव में आवश्यक गतिविधियों को भी संचालित किया जाना जरूरी है।
उस दशा में हॉर्न के उपयोग पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। बताया जाता है कि हॉर्न पर रोक लगाने की मांग करते हुए अजमेर के अशोक मलिक ने कहा था कि रेलवे लाइन के आसपास की कॉलोनियों में रहते हैं। ट्रेन के आने-जाने से उससे उत्पन्न होने वाली शोर से उनलोगों को काफी परेशानी होती है।
उन्होंने कहा कि ट्रेन से उत्पन्न शोर ध्वनि प्रदूषण से संबंधित नियमों का उल्लंघन होता है। उसपर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए। लेकिन एनजीटी ने इसे दरकिनार करते हुए याचिका खारिज कर दिया