अर्चना कुमारी। ज्ञानवापी मस्जिद में पाए गए ‘शिवलिंग’ को खतना वाला शिवलिंग बताकर हिंदू धर्म को अपमानित करने वाले डीयू के प्रोफेसर को जमानत दे दी गई। इसके बाद रतनलाल रिहा हो गया। उसके आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर देशभर में बवाल मचा था लेकिन अदालत ने उसे रिहा कर दिया। दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने प्रोफेसर रतन लाल को 50,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानती के आधार पर जमानत दे दी। इससे पहले पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया।
अदालत ने पुलिस और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका या न्यायिक हिरासत पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि बाद में रतनलाल को जमानत के आधार पर रिहा किए जाने का आदेश दिया गया। दरअसल उत्तरी जिला साइबर पुलिस ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर मिले ‘शिवलिंग’ की खोज के बाद कथित तौर पर धार्मिक मान्यताओं को आहत करने के इरादे से एक सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में मिली शिकायत के बाद शुक्रवार को उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
प्रोफेसर ने गिरफ्तारी को अनुचित बताते हुए प्रधानमंत्री से सुरक्षा की मांग कर दिया था और कहा था कि उन्हें ak-56 वाला अंगरक्षक दिया जाना चाहिए। इस घटना के बाद प्रोफेसर रतनलाल की गिरफ्तारी के विरोध में वामपंथी संगठनों के छात्रों ने ऑर्ट फैकल्टी और मौरिस नगर में साइबर पुलिस थाने के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इससे पहले पुलिस ने आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ 20 मई की रात भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295ए के तहत मामला दर्ज किया था।
पुलिस को छानबीन में पता चला कि आरोपी रतन लाल दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और उन्होंने धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य फैलाने का काम किया तथा धर्म का अपमान कर एक वर्ग की धार्मिक भावना को जानबूझकर आहत किया इस वजह से उन्हें पकड़ा गया । इस मामले को लेकर दिल्ली के एक वकील विनीत जिंदल तथा सामाजिक कार्यकर्ता शिवम भल्ला ने इस बारे में पुलिस में शिकायत की थी। इस मामले में अपना बचाव करते हुए प्रोफेसर
रतन लाल ने पहले कहा था कि उन्होंने इतिहास के छात्र के रूप में केवल एक प्रश्न रखा था। उनका इरादा किसी धर्म विशेष को आहत करना नहीं था। लेकिन उनके इस बयान की भी काफी आलोचना की गई थी। रतनलाल के बयान से खफा लोगों का कहना था कि भारत में यह संभव है कि हिंदू धर्म के खिलाफ अनाप-शनाप बकने वाले को महिमा मंडित किया जाए और उन्हें आजादी भी मिल जाए ।
हिंदू धर्म से जुड़े लोगों ने आरोप लगाया कि प्रोफेसर रतन लाल ने मशहूर होने के लिए जानबूझकर शिवलिंग का मजाक उड़ाया था। गौरतलब है कि प्रोफेसर रतन लाल ने फेसबुक पर वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की। फेसबुक पर उन्होंने लिखा था कि ‘ यदि यह शिवलिंग है तो लगता है कि शायद शिवजी का भी खतना कर दिया गया’। पोस्ट पढ़कर भारतीय जनमानस को गुस्सा आया। लेकिन रतन लाल के रिहा हो जाने के बाद अब मामला शांत हो गया लगता है।