अर्चना कुमारी नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी होते ही राजधानी में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उतर पूर्व तथा दक्षिण पूर्व दिल्ली में विशेष तौर पर सतर्कता बरतने के निर्देश देते हुए भारी संख्या में पुलिस बलों की मौजूदगी की गई है।
दोनों जिलों में स्थानीय पुलिस के अलावा पारा मिलिट्री बलों को भी तैनात किया गया है। सोमवार शाम शाहीन बाग, ओखला, सीलमपुर, वेलकम, दयालपुर , जाफराबाद, मौजपुर, भजनपुरा तथा अन्य संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षा बलों द्वारा एहितयातन फलैग मार्च भी किया गया।
नागरिकता संशोधन अधिनियम की घोषणा के बाद यमुनापार तथा शाहीन बाग इलाके में खास तौर से सुरक्षा एजेंसियों की नजर है।
यहां पर सुरक्षा बलों के द्वारा इलाके में लगातार फ्लैग मार्च किया जा रहा है। इस फलैग मार्च का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को तत्काल रोका जा सके। भारी सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बाद भी यदि कोई शख्स या समूह उप्रदव करता है तब उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लेने के भी निर्देश दिए गए है।
अधिसूचना जारी होते ही दिल्ली पुलिस की साइबर विंग अलर्ट हो गई । खासकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देश भर की सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की नजर हैं।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीएए लागू होने के बाद असमाजिक तत्वों के द्वारा सोशल मीडिया के जरिए एंटी इंडिया प्रोपेगैंडा फैलाने का अंदेशा है और इस वजह से दिल्ली पुलिस की उन पर नजर है।
ऐसे लोगों के खिलाफ कारवाई तत्काल की जाएगी, जो सोशल मीडिया पर उत्तेजित पोस्ट करेंगे या फिर झूठी सूचनाएं फैलाते हुए पाए जाऐंगे। उन्होंने बताया कि आमजनों से अपील की गई है कि वह सोशल मीडिया पर अफवाह को न फैलाएं जबकि झूठी और भ्रामक पोस्ट बिल्कुल शेयर नहीं करे।
सुरक्षा एजेंसियां और इंटेलिजेंस विंग लगातार अलर्ट है ताकि किसी तरह की झूठी अफवाह न फैलने दी जाए। उत्तर पूर्व जिले के डीसीपी डॉ जॉय टिर्की ने बताया कि यहां की सुरक्षा काफी चाक चौबंद है।
उन्होंने इस बारे में अमन कमेटी से करीब 29 बार मीटिंग की है और उन्हें कानून से अवगत करा दिया गया है। इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी और किसी भी तरह की अफवाह से बचने की अपील की गई है।
ज्ञात हो कि पूर्व में नागरिकता संशोधन कानून पास होने के बाद एक विशेष वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया था जबकि शाहीन बाग में सड़क रोककर धरना-प्रदर्शन किया था जबकि साल 2020 के फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर पूर्वी जिले में दंगे भड़के थे। जिसके चलते उस दौरान करीब 53 लोगों की मौत हो गई थी।
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