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India Speak Daily > Blog > समाचार > संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही > सुदर्शन टेवी के नौकरशाही जिहाद कार्यक्रम पर लेफ्ट लिबरल की राजनीति, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार लेकिन हाई कोर्ट ने रोक लगाई
संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही

सुदर्शन टेवी के नौकरशाही जिहाद कार्यक्रम पर लेफ्ट लिबरल की राजनीति, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार लेकिन हाई कोर्ट ने रोक लगाई

Rati Agnihotri
Last updated: 2021/04/09 at 12:33 PM
By Rati Agnihotri 46 Views 6 Min Read
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सुदर्शन टीवी के बिंदास बोल कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू होने वाले नौकरशाही जिहाद कार्यक्रम पर दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रसारण से पहले ही रोक लगा दी है. सबसे ज़्यादा हैरानी की बात तो यह है कि हाई कोर्ट के कार्यक्रम पर रोक लगाने के कुछ घंटे पहले ही देश के सर्वोच्च  न्यायालय्य, सुप्रीम कोर्ट ने प्रसारण से पहले कार्यक्रम पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया था.

वाह , सुप्रीम कोर्ट ने @SureshChavhanke के प्रोग्राम पर रोक लगाने से मना किया, उसके बाद हाई कोर्ट गए

हाई कोर्ट को बताया नहीं कि सुप्रीम कोर्ट मना कर चुका हैं

क्या फ्राड तरीके से इस कार्यक्रम को रुकवाने की कोशिश हुई हैं #सुरेश_चव्हाणके_आगे_बढ़ो https://t.co/Ls9mWxJhHS

— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 28, 2020

कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में दो अलग अलग याचिकायें दायर की गयी थीं. सुप्रीम कोर्ट में याचिका फिरोज़ इकबाल खान नाम के एक वकील द्वारा दायर की गयी थी जिनका कहना था कि ये कार्यक्रम एक समुदाय विशेष का नकारात्मक प्रस्तुतीकरण कर एक देश को धर्म के नाम पर बांटने का एजेंडा चला रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट में पेश की गई याचिका जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा दायर की गयी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कार्यक्रम पर रोक लगाने से यह कहते हुए मना कर दिया कि सिर्फ 49 सेकेंड की एक वीडियो क्लिपिंग के आधार पर हम इस प्रकार का निर्णय नहीं ल सकते.

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सुदर्शन टी वी के संपादक सुरेश चवहाण्के ने अपने ट्विटर हैंडल में आने वाले कार्यक्रम का एक ट्रेलर लगाया था जिसमे वे यह बताते दिख रहे थे कि किस प्रकार ये आने वाला कार्यक्रम सिविल सर्विसेज़ में जो अचानक मुसलमानों की संख्या बढी है, उसके पीछे के पूरे जिहादी षड्यंत्र को बेनकाब करेगा. बस इसी ट्रेलर के ट्वीट किये जाने के बाद ही ये याचिकायें दायर की गयीं.

तो सुप्रीम कोर्ट ने कार्यक्रम पर रोक लगाने से मना कर दिया और साथ ही केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल आंफ इंडिया, न्यूज़ ब्रांड्कास्टर्ज़ एसोसियेशन और सुदर्शन न्यूज़ को नोटिस भी जारी किया.

लेकिन हाई कोर्ट ने सीधे सीधे कार्यक्रम पर प्रसारण से पूर्वे ही रोक लगा दी . और ऐसा भारत के कानूनी इतिहास में शायद पहली बार हुआ है कि किसी कार्यक्रम पर प्रसारण से पूर्व ही रोक लगा दी गयी हो.

यह पूरा मामला चौंका देने वाली बातों से भरा पड़ा है जिसमे अनैतिक कानूनी दाव पेंच और  अनैतिक पत्रकारिता दोनों का ज़हरीला कांकटेल है. सर्वप्रथम तो जब सुप्रीम कोर्ट ने किसी मामले पर अपना फैसला सुना दिया है और कार्यक्रम पर प्रसारण के पूर्व सिर्फ एक प्रोमो के आधार पर रोक लगाने से स्पष्ट तौर पर मना कर दिया है, तो हाई कोर्ट भला सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ओवर्राइड कर सकता है? यह तो संवैधानिक तौर पर, कानूनी तौर पर गलत है.

यह तो रही पहली बात कि कार्यक्रम के खिलाफ लांबिंग करनेवालों ने छल कपट से कार्यक्रम पर रोक लगवाने का नोटिस हासिल कर लिया क्योंकि उन्होने यह बात हाई कोर्ट से छुपा कर रखी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही फैसला सुना चुका है.

और दूसरी बात यह है कि लेफ्ट लिबरल मीडिया भी इसमे छल कपट का काम कर रहा है. इस कार्यक्रम पर रोक लगने से संबंधीत जितनी भी न्यूज़ प्रकाशित हो रही हैं, कमसकम मेंस्ट्रीम मीडिया की तरफ से, उन सब में कहीं भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ज़िक्र ही नहीं है! सिर्फ यह न्यूज़ बनाई जा रही है कि अम्मुक कार्यक्रम के सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी होने की वजह से उस के प्रसारण पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.

यानि अब न्यूज़ पढ्ने वाले आम लोगों के साथ भी छलावा हो रहा है. उन्हे सिर्फ आधी बात ही बताई जा रही है. बी बी सी हिंदी जैसा अन्तराष्ट्रीय मीडिया आउटलिट , वो बी बी सी जो कि अपनी निष्पक्षता और एक्युरेसी का दम भरते नहीं थकता, उसने भी अपनी पूरी खबर में सिर्फ हाई कोर्ट के फैसले की ही बात ही है.यहां तक कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को यह कहकर कोट भी किया है कि इस प्रकार के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट को हाई कोर्ट से सीख लेनी चाहिये! लेकिन पूरी खबर में इस बात का ज़िक्र कहीं भी नही है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने तो इस कार्यक्रम पर रोक लगाने से मना कर दिया था.

कार्यक्रम की विषयवस्तु क्या है, उस पर रोक लगनी चाहिये या नहीं, ये सब बातें तो बाद में आती हैं लेकिन यहां तो मामला दूसरा ही है. यहां तो छल कपट द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर जबरन एक कार्यक्रम पर रोक लगवाने का षड्यंत्र चल रहा है.

कार्यक्रम का पहला एपिसोड कल रात को सुदर्शन टीवी के ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम पर प्रसारित होना था लेकिन हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक के चलते नौकरशाही जिहाद का प्रसारण नहीं हुआ. लेकिन बिंदास बोल कार्यक्रम में सुदर्शन टीवी के संपादक सुरेश चवहाण्के ने कार्यक्रम पर रोक लगाये जान के मुद्दे पर खुलकर बोला और दर्शकों के सवाल भी लिये.

उन्होने बताया कि कार्यक्रम प्रसारण रोकने के लिये क्या क्या नहीं किया गया, यहां तक कि उन्हे 25 करोड़ रुपये की धनराशि तक आंफर की गयी.

विश्व के इतिहास में पहली बार किसी शो के प्रसारण से पहले लगी रोक. सावरकर की पुस्तक पर भी छपने से पहले लगा था बैन अब अब सुरेश और सुदर्शन. #सुरेश_चव्हाणके_आगे_बढ़ो https://t.co/bOmzOZdLBo

— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) August 28, 2020

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Rati Agnihotri August 29, 2020
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Rati Agnihotri
Posted by Rati Agnihotri
रति अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में कवितायें लिखती हैं. इनका अंग्रेज़ी का पहला कविता संग्रह ‘ द सनसेट सोनाटा’साहित्य अकादमी से प्रकाशित हुआ है. रति की हिंदी कवितायें पाखी, संवदिया, परिकथा, रेतपथ, युद्धरत आम आदमी, हमारा भारत आदि साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं. रति दिल्ली में ‘ मूनवीवर्स – चांद के जुलाहे’ के नाम से एक पोएट्री ग्रुप चलाती हैं जहां कविता को संगीत, चित्रकला आदि विभिन्न विधाओं से जोड़ा जाता है और कविता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार भी होता है. रति चीन के शिनुआ न्यूज़ एजेंसी के नई दिल्ली ब्यूरो में बतौर टी वी न्यूज़ रिपोर्टर कार्य कर चुकी हैं. रति आजकल स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. रति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कांलेज से अंग्रेज़ी विशेष में बी ए आनर्स किया है और इंग्लैंड के लीड्स विश्वविद्यालय से अंतराष्ट्रीय पत्रकारिता में एम ए किया है.
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1 Comment 1 Comment
  • Avatar Dipak says:
    August 29, 2020 at 6:54 pm

    High court kya dogla gang ka gulam ha ya court fixing huwa have

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