डायरी-10: मिशन तिरहुतीपुर
विज्ञापन की दुनिया से सीख। 1987 से 2020 तक दिल्ली में 33 साल रहने के बाद जब मैं गांव में स्थायी रूप से रहने के लिए आया तो मैंने महसूस किया कि गांव अब...
विज्ञापन की दुनिया से सीख। 1987 से 2020 तक दिल्ली में 33 साल रहने के बाद जब मैं गांव में स्थायी रूप से रहने के लिए आया तो मैंने महसूस किया कि गांव अब...
विमल कुमार सिंह। गांव की जरूरतः हार्डवेयर या साफ्टवेयर? गोविन्दजी का तिरहुतीपुर गांव में दशहरा वाला कार्यक्रम बहुत अच्छे से संपन्न हो गया। लोगों की अपेक्षा थी कि अब हम गांव के हार्डवेयर पर...
विमल कुमार सिंह। मैं गांव गोद नहीं लूंगा। विजयदशमी के दिन 26 अक्टूबर, 2020 को सुबह-सुबह गोविन्दाचार्य जी मेरे घर पर आ गए थे। जैसा कि मैं पहले बता चुका हूं, तिरहुतीपुर ग्राम पंचायत...
विमल कुमार सिंह। “कर्स आफ नालेज” से बचने की कोशिश कोरोना काल-1 में कई महीनों के चिंतन-मनन और पठन-पाठन के बाद 16 अक्टूबर, 2020 के दिन मैं पत्नी के साथ गांव के लिए रवाना...
विमल कुमार सिंह क्या है हमारे रोडमैप में ? आपको रामचरित मानस का वह प्रसंग बहुत अच्छे से याद होगा जब मां सीता की खोज में हनुमान जी समुद्र पार कर लंका जा रहे...
विमल कुमार सिंह। मई, 2020 में मैंने मिशन तिरहुतीपुर को व्यवस्था परिवर्तन से जोड़ते हुए एक छोटा सा नोट तैयार किया और उसे गोविन्दजी को दिखाया। इस नोट पर गोविन्दजी की प्रतिक्रिया बहुत अच्छी...