अर्चना कुमारी। बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिए गए इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान को साकेत कोर्ट से सुनाई गई फांसी की सजा को हाइकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया।
दिल्ली हाइकोर्ट ने साकेत कोर्ट द्वारा आरिज खान को सुनाई गई फांसी की सजा को कंफर्म करने से इंकार किया। ज्ञात हो 15 मार्च 2021 को साकेत कोर्ट ने आरिज खान को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। फैसले के बाद साकेत कोर्ट ने हाई कोर्ट को मौत की सजा की पुष्टि के लिए भेज दिया था।लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर लंबी सुनवाई और सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित किया था।
आरिज के वकील ने कहा था कि ऐसा कुछ भी नही है, जो यह कहे कि उनके मुवक्किल आरिज खान को सुधारा नही जा सकता। आरिज के वकील ने यह भी कहा था कि अगर सुधार की कोई संभावना नही है तो उम्रकैद कि सजा का नियम है और फांसी के बदले उसे उम्र कैद दिया जाए। लेकिन पूर्व में निचली अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि आरिज देश का ही नही समाज का दुश्मन है। इसलिए इसे जीने का कोई अधिकार नही है।
इसी मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे। उन्हें सात बार राष्ट्रपति के पदक से सम्मानित किया गया है।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि सामाजिक व्यवहार जांच रिपोर्ट और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि जेल में उसका आचरण ठीक नही था। निचली अदालत ने 8 मार्च 2021 को आरिज खान को दोषी करार देते हुए कहा था कि यह साबित हुआ है कि आरिज उसके सहयोगियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की और उनपर गोलियां चलाई थी।
आरिज को 2018 में नेपाल से गिरफ्तार किया गया था। सनद रहे साल 2008 में दिल्ली में सिलसिलेवार बम धमाका हुआ था। उसके कुछ दिन बाद स्पेशल सेल की बटला हाउस में आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी और इसमें इंस्पेक्टर शर्मा 19 सितंबर 2008 को मारे गए थे। इस धमाके में 39 लोग मारे गए थे, जबकि 159 घायल हुए थे।
एनकाउंटर में इससे पहले आरोपी शहजाद अहमद को 2013 में सजा हुई थी। जबकि 2 साथी आतिफ आमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे।बटला हाउस एनकाउंटर भारत के चुनौतीपूर्ण एनकाउंटर में एक है, जिस पर फिल्म भी बनाई गई है।