विपुल रेगे। नए घटनाक्रम में एक बार फिर भारत की अंतरराष्ट्रीय किरकिरी हो गई है। फ़्रांस में हुए यूनेस्को के उपाध्यक्ष चुनाव में पकिस्तान ने दो वोट के अंतर से भारत को हरा दिया। अब एक महत्वपूर्ण पद का निर्वाह एक ऐसे देश में होगा, जहाँ आए दिन हिन्दुओं के मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाता है। भारत समेत विश्व समुदाय में पाकिस्तान की जीत से हैरानी है। भारत ने एक महत्वपूर्ण ओहदा चुनाव में गँवा दिया है। यूनेस्को के इस चुनाव में जीता पाकिस्तान लगातार अपनी ज़मीन पर मंदिर तोड़ता जा रहा है। ऐसे में वह एक आदर्श यूनेस्को उपाध्यक्ष हो सकेगा, इस पर बड़ा सवाल है।
यूनेस्को उपाध्यक्ष पद के लिए भारत की पराजय को लेकर सोशल मीडिया ने प्रतिक्रिया देना आरंभ कर दिया है। अब तक तो जनमानस की ओर से ‘पनौती’ जैसी सतही प्रतिक्रियाएं ही आ रही हैं। ये हैरान करने वाला घटनाक्रम है। पाकिस्तान से बहुत सक्षम होते हुए भी भारत के यूँ हार जाने के कारण क्या है ? क्या हमारी सरकार ने फ़्रांस में हुए चुनाव को लेकर कोई रणनीति तैयार नहीं की थी ? क्या भारत इस मामले में अपने सहयोगियों को साथ लाने में असमर्थ रहा ? एक मंदिर भंजक देश क्या शिक्षा, कला, संस्कृति और विरासत के सरंक्षण का नैतिक उत्तरदायित्व निभा सकेगा ? ऐसे कई सवाल इस चुनाव के बाद खड़े हो गए हैं।
यूनेस्को वैश्विक रुप से विज्ञान, कला, संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य करता आया है। ये कार्य वह दुनिया के बहुत से देशों में कर रहा है। फ्रांस में हुए चुनाव के बाद यूनेस्को क्या पाकिस्तान की कला और संस्कृति विरोधी मानसिकता को बदल सकेगा ? हमारे प्रधानमंत्री अपने भाषणों में कहते रहते हैं कि भारत का डंका विदेशों में बज रहा है और वास्तविकता में एक छोटे से चुनाव में पाकिस्तान जैसा देश हम पर भारी पड़ जाता है। यूनेस्को और भारत के संबंध बड़े ही प्रगाढ़ रहे हैं। विगत सितंबर में शांति निकेतन और कर्नाटक के होयसल मंदिरों के समूह को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल किया था। मोदी सरकार में भारत में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की संख्या बढ़कर 42 हो गयी है।
पाकिस्तान से अधिक भारत यूनेस्को के पवित्र उद्देश्यों को पूरा कर रहा है लेकिन 58 में से 38 सदस्यों ने फिर भी पाकिस्तान को वोट दिया। पाकिस्तान ने भरोसा दिलाया है कि वह यूनेस्को के उपाध्यक्ष के तौर पर आदर्श काम करेगा। हालाँकि ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं देता। जब पाकिस्तान यूनेस्को के उपाध्यक्ष के चुनाव लड़ रहा था, उसी समय आए एक समाचार ने सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान यूनेस्को की ज़िम्मेदारी उठाने के लायक नहीं है। पता चला है कि एलओसी के पास हिंदुओं के एक और धार्मिक स्थल, शारदा पीठ मंदिर को तोड़ा गया। इस मंदिर को सुप्रीम कोर्ट की ओर से सुरक्षा के आदेश के बावजूद तोड़ा गया। मंदिर के पास एक कॉफी हाऊस बनाया जा रहा है।
पाकिस्तान सिर्फ मंदिर तोड़ने तक सीमित नहीं है। वहां की सरकार नए मंदिरों को बनने से भी रोक रही है। ताज़ा मामले में इस्लामाबाद में एक मंदिर के लिए जगह दे दी गई थी लेकिन मंदिर निर्माण नहीं करने दिया जा रहा। यूनेस्को के लिए ये बहुत धक्के वाली बात है कि पाकिस्तान ने यूनेस्को साइट होने के बावजूद मंदिर ढहा दिया। ऐसा लगता है यूनेस्को ने एक भक्षक को रक्षक की ज़िम्मेदारी दे दी है। देखा जाए तो भारत ने पाकिस्तान से अधिक सक्रियता दिखाते हुए यूनेस्को के साथ काम किया है लेकिन मिठाई पाकिस्तान को खिला दी गई।
ये हार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार की साख कम करेगी क्योंकि भारत अपने शत्रुवत पड़ोसी से हारा है। मोदी सरकार आने के बाद भारत में सोलह साइट्स को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज सूची में शामिल किया गया था। मोदी सरकार में भारत और यूनेस्को के संबंध और अच्छे हो गए थे। यूनेस्को ने तो प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड के लिए बधाई संदेश भी भेजा था। हालांकि इन सारी कवायदों के बाद भी भारत के हाथ कुछ नहीं लगा।
ऐसा नहीं है कि ये नया पद मिलने के तुंरत बाद पाकिस्तान का हृदय परिवर्तन हो जाएगा और वह मंदिर तोड़ना बंद कर देगा। भारत को अब इस मामले में कुछ हाथ नहीं लगना है। अंतरराष्ट्रीय रुप से डंका बजाने का दावा करने वाली सरकार के माथे पर ये हार कुछ समय तक चिपकी रहेगी।