अर्चना कुमारी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2008 बटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद आरिज खान को दी गई मौत की सजा की पुष्टि पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के निरीक्षक मोहन चंद शर्मा की जान चली गई थी।
दोषी और राज्य सरकार के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और अमित शर्मा की पीठ ने कहा, बहसें सुनी जा चुकी हैं। फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ के निरीक्षक शर्मा 19 सितंबर, 2008 को दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान मारे गए थे।
राष्ट्रीय राजधानी में पांच सिलसिलेवार बम विस्फोटों के कुछ दिनों बाद हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी भी मारे गए। दिल्ली में हुए बम धमाकों में 39 लोग मारे गए और 159 घायल हो गए। शर्मा ने धमाकों के लिए जिम्मेदार आतंकियों की तलाश में वहां छापा मारा था। निचली अदालत ने आठ मार्च, 2021 को आरिज खान को दोषी ठहराया था और कहा था कि यह विधिवत साबित हुआ है कि उसने और उसके सहयोगियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की और उन पर गोलियां चलाईं।
अदालत ने 15 मार्च, 2021 को खान को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी और उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि शर्मा के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये तुरंत जारी किए जाने चाहिए। इसके बाद, उच्च न्यायालय को निचली अदालत द्वारा खान को दी गई मौत की सजा की पुष्टि के लिए एक संदर्भ प्राप्त हुआ। दोषी ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ भी अपील दायर की, जिसमें कहा गया था कि अपराध ‘दुर्लभतम श्रेणी के अंतर्गत आता है, जिसके लिए अधिकतम सजा की आवश्यकता है और उसे फांसी दी जाए।