देश के नियम कानून को धत्ता बताकर एमनेस्टी इंडिया और ग्रीनपीस इंडिया के माध्यम से मानव अधिकार के नाम पर अवैध रूप से अपना साम्राज्य बढ़ाने वाला एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मोदी सरकार के खिलाफ अनाप शनाप आरोप लगाना शुरू कर दिया है। एक प्रकार से कहें तो एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लोक सभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए उसने छद्म उदारवादी नसीरूद्दीन शाह तथा पेटीकोट पत्रकार बरखादत्त को चुना है। भ्रष्ट एमनेस्टी के मंच से एक तरफ बॉलीवुड कलाकार नसीरूद्दीन शाह ने देश पर प्रहार करना शुरू किया है। वहीं दूसरी ओर विदेशी मीडिया में देश और मोदी सरकार को अपमानित करने का मोर्चा पेटीकोट पत्रकार बरखा दत्त ने संभाला है। इसे देखते हुए यह कहना बिल्कुल गलत नहीं है कि कि मोदी को निपटाने के लिए नसीरूद्दीन शाह तथा बरखा दत्त को इंटरनेशनल सुपारी दी गई है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मोदी सरकार पर एक्टिविस्टों, स्वतंत्र मीडिया हाउस तथा एमनेस्टी इंडिया और ग्रीनपीस इंडिया जैसे संगठनों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं उसने मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट होने तथा विरोध करने का आह्वान किया है। एमनेस्टी इंटरनेशन के आह्वान का नसीरूद्दीन शाह और बरखा दत्त पर इतना असर पड़ा कि दोनों ने मोदी सरकार से ज्यादा देश के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। जबकि सच्चाई यह है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल मानवाधिकार के नाम पर मनीलॉन्ड्रिंग जैसे आर्थिक अपराध में लिप्त है। तभी तो ईडी ने उसके बेगलोर स्थित दफ्तर पर छापेमारी की थी। असल में एमनेस्टी इंटरनेशन जैसे संगठन देश में कांग्रेस की सरकार चाहते हैं ताकि उसे दलितो और आदिवासियों का मजहब परिवर्तन कराने में कोई कष्ट न हो।
A law breaking organization indulging in illegal activities preaching to India;shame on @amnesty Clean up your act before you pontificate to India;urban Maoists have been arraigned by courts:tax evasion charges against ‘I’ media house ..whom are you supporting? Law breakers? https://t.co/XFsDthnp9O
— Mohandas Pai (@TVMohandasPai) January 5, 2019
एमनेस्टी इंटरनेशन की करतूत को देखते हुए ही मोहनदास पाई ने अपने ट्वीट में लिखा है कि जो संगठन देश का कानून तोड़ता रहा हो जो हमेशा से अवैध क्रियाकलाप में संलग्न हो वह आज हमें भाषण सुनाता है। उन्होंने कहा है कि एमनेस्टी तथा उसकी राह पर चलने वालों भारत पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। शहरी नक्सलियों को प्रश्रय देने से लेकर कर की चोरी ये लोग करते हैं और यही लोग देश पर उंगली उठाते हैं। इन्हें खुलकर बताना चाहिए कि आखिर ये समर्थन किसका कर रहे हैं?
Activists are being harassed, independent media houses have been raided, and organizations like @aiindia and Greenpeace #India are being targeted by Indian authorities because of their work. We need to speak out now. https://t.co/vcDRIPyneA
— Amnesty International (@amnesty) January 4, 2019
आप नसीरूद्दीन शाह के इस विडियो में सुन सकते हैं कि जो आरोप एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लगाया है उसे ही बढ़ा चढ़ा कर नसीरूद्दीन शाह मोदी सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। शाह से बताना चाहिए कि ये सब कितने दिनों से हो रहा है और फिर वे इतने दिनों तक चुप क्यों रहे?
https://twitter.com/LillyMaryPinto/status/1081404347982872579
नसीरुद्दीन शाह पहली बार देश को बदनाम करने का काम नहीं किया है। जब भी कभी देश में चुनाव का समय आता है उसका डर बाहर आ जाता है। बिहार चुनाव के बाद उसने कहा था कि कोई ऐसा डर नहीं है, जबकि चुनाव से पहले कहा था कि मुसलमान होने के कारण डर है । असल में उनकी मंशा देश के साथ मोदी सरकार को बदनाम करना है, ताकि कांग्रेस के समर्थन में हवा बन सके। नसीरुद्दीन शाह एक नंबर के झूठे और पाखंडी तथा मौकापरस्त हैं। जब मोदी 2014 में कांग्रेस को हराकर सत्ता में आए तो यही नसीरुद्दीन शाह और उसके भाई, जो अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे, दोनों ने मिलकर मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ा करते थे।
2013- Naseeruddin Shah launched a website 'Pheku' to target Narendra Modi. Campaigned agnst Modi, even made a movie Firaaq on 2002 riots.
2018- Naseeruddin Shah says had great faith when Modi ascended to power in 2014.
Biggest Liar and Hypocrite pic.twitter.com/anCeeJn8y7
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) January 4, 2019
लेकिन जैसे ही यह पता चल गया कि मोदी सरकार में जो कुछ मिलेगा वह चापलूसी से नहीं मेरिट से मिलेगा उसने फिर अपना भगवान बदल लिया। मोदी को बदनाम करने के लिए उसने 2013 में फेकू नाम से एक वेबसाइट बनाई थी। उसने तो मोदी को बदनाम करने किले साल 2002 में फिराक नाम की एक फिल्म भी बनाई थी।
वही दूसरी तरफ कांगी पत्रकार बरखा दत्त ने विदेशी अखबारों में कॉलम लिखकर भारत की परंपरा और मोदी सरकार को बदनाम करने पर तुली है। हाल ही में वाशिंगटन पोस्ट में उसने सबरीमाला के संदर्भ में एक आलेख लिखकर देश को बदनाम करने का प्रयास किया है। बरखा ने वांशिगटन पोस्ट में प्रकाशित अपने आलेख में बरखा दत्त ने लिका है कि अगर सबरीमाला मंदिर में 40 साल की दो महिलाओं के प्रवेश के बाद उसकी शुद्धिकरण की बात सच है तो यह शर्मनाक है। क्या आप वास्तव में यह कह रहे हैं कि मासिक धर्म अशुद्ध है? 2018 में होने के बाद अगर आप ऐसे विचार वाली परंपरा को मानते हैं तो आपको तत्काल उसे छोड़ देना चाहिए। उसके इस आलेख का जवाब पाकिस्तानी बुद्धिजीवी तारीक फतेह ने ट्वीट कर दिया है।
Dear Barkha @bDutt, unless you have stood up against Mullahs who bar Muslim women from Indian mosques (menstruating or not), your #SheAtSabrimala critique is unprincipled. Join #BanTheBurka movement call #Halala wicked prostitution and then people will see merit in your argument. https://t.co/nVupVP4jDN
— Tarek Fatah (@TarekFatah) January 3, 2019
तारीक फतह ने अपने ट्वीट में लिखा है कि प्रिय बरखा दत्त जब तक आप उन मुल्लाओं के खिलाफ खड़ी नहीं होती है, जो भारतीय ममजिदों में मासिक धर्म वाली मुसलिम महिलाओं रोकते हैं, जब तक आप बुरका को प्रतिबंधित करने और हलाला को वेश्यवत्ति में शामिल करने के आंदोलन का हिस्सा नहीं होती है, तब तक सबरीमाला पर दिया गया आपका तर्क असैद्धांतिक ही रहेगा।
It is not Sabarimala which stains India's imagine on women's rights, but media people like you seem very keen to stain India's image on women's rights.
Am I right? https://t.co/yhJuLTD6mh
— Maria Wirth (@mariawirth1) January 4, 2019
असल में बरखा दत्त जैसे कुछ लोग हैं जो देश को बदनाम करना फैशन मानते हैं और उसे ही धन और सम्मान कमाने का जरिया बना लिया है। तभी तो उसने सबरीमाला मंदिर में महिला प्रवेश पर पाबंदी की परंपरा को भारत के लिए दाग बताया है। उसने अपने आलेख में लिखा है कि जब तक महिलाओं का खून देश के लिए धब्बा बना रहेगा तब तक हमें प्रधानमंत्री बनने वाली इंदिरा गांधी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की उपलब्धि पर जश्न मनाने का कोई अधिकार नहीं है। अगर ऐसा नहीं तो बरखा दत्त को वाशिंगटन पोस्ट में देश को बदनाम करने से पहले सबरीमाला मंदिर को लेकिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में शामिल महिला जस्टिस का मत भी पढ़ लेना चाहिए था। उसे पता होना चाहिए था कि सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वसम्मति का नहीं है बल्कि उस पीठ में शामिल महिला जस्टिस का मत बिल्कुल भिन्न है।
तभी तो विगत 38 सालों से भारत में रहने वाली एक जर्मन महिला ने बरका दत्त को अपने ट्वीट से आईना दिखाया है। उन्होंने बरखा के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा है कि महिलाओं के अधिकार को लेकर भारत की छवि सबरीमाला प्रकरण से दागदान नहीं हुआ है बल्कि आप जैसे कुछ पत्रकार हैं जो महिलाओं के अधिकार को लेकर देश की छवि को दागदान बनाने के उत्सुक हैं।
URL :Naseeruddin Shah and Barkha Dutt get international beetroot for PM Modi!
Keyword : amnesty international, Naseeruddin Shah, Barkha Dutt, PM Modi, अंतरराष्ट्रीय साजिश, एमनेस्टी इंडिया