केंद्र सरकार ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्र्स्ट आंफ इंडिया ( पी टी आई ) से जुर्माने के तौर पर 84.48 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है. सरकार के अनुसार पी टी आई को लीज की जिन शर्तों पर दिल्ली के संसद मार्ग कार्यालय के लिये ज़मीन आवंटित की गयी थी, एजेंसी ने उन शर्तों का उल्लंघन किया है. इसीलिये पी टी आई को यह रकम जुर्माने के तौर पर भरनी होगी.
सरकार के आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने 7 जुलाई को यह नोट्स सर्व किया था. नोटिस के अनुसार पी टी आई को नोटिस सर्व किये जाने की तारीख के 30 दिनों के भीतर जुर्माने का भुगतान करना है.
नोटिस में कहा गया है कि 14 जुलाई 2020 तक अस्थायी रूप से दिल्ली कार्यालय के परिसर में उल्लंघनों को सुधारना होगा और निम्नलिखित शर्तों को इस पत्र के जारी होने की तारीख के 30 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए वरना परिसर में प्रवेश के को प्रतिबंधित कर दिया जायेगा.
नोटिस में यह भी कहा गया है कि यदि पी टी आई समय अवधि के भीतर जुर्माना भरने में असफल रहता है तो उसे अतिरिक्त 10 प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ सकता है.
अभी हाल ही में, कुछ समय पहले प्रसार भारती ने पी टी आई को गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई मुठ्भेड़ को लेकर उसके द्वारा प्रकाशित भारत के चीनी राजदूत सुन वेई डांग के इंटरव्यू को लेकर चेतावनी दी थी कि यदि पी टी आई इस प्रकार की एकतरफा और देश विरोधी न्यूज़ प्रसारित करता रहा तो उसे मजबूर होकर उसकी फंडिंग काटनी होगी.
पी टी आई देश की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी है. इसके बावजूद उसने राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे को लेकर भारत के चीनी राजदूत के साथ किया गया एक ऐसा इंटर्व्यू प्रकाशित किया जिसमे वे केवल चीन का पक्ष सामने रख रहे थे और गलवान मुठ्भेड़ के लिये कथित तौर पर भारत को दोषी ठहरा रहे थे. पी टी आई ने अपने लेख में उनके न विचारों का खंडन करने का या फिर भारत का पक्ष सामने रख लेख को संतुलित बनाने का कोई प्रयास नहीं किया.
ये पहली बार नही है कि प्रेस ट्रस्ट आंफ इंडिया पर फेक न्यूज़ फैलाने या फिर किसी विचार विशेष को लेकर प्रोपोगंडा फैलाने का आरोप लगा है. इससे पहले भी पी टी आई ने राजनीति को लेकर झूठी खबरें फैलाई हैं. उदाहरण के लिये इस वर्ष फरवरी में हुए दिल्ली चुनावों के दौरान पी टी आई ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया था कि आम आदमी पार्टी के मात्र 25 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं. जबकि वास्तविकता में ए ए पी के 50 प्रतिशत से भी ज़्यादा उम्मीदवारों के खिलाफ संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज थे.