राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल गुरुवार को ब्रिक्स देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की एक वर्चुयल बैठक में सम्मिलित हुए. ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका ( BRICS ) के सुरक्षा सलाहकारो ने इस मीटिंग में वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा के मार्ग में जो जो खतरे और अवरोध उत्पन्न हो रहे हैं या हो सकते हैं, उन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की.
वर्चुयल् बैठक में हुए विचार विमर्श का केंद्र बिंदु वैश्विक आतंकवाद रहा कि एक सांझा रणनीति के तहत इससे कैसे निबटा जाये.
इस वर्चुयल बैठक की मेज़बानी रूस ने की. इस बैठक में वैश्विक आतंकवाद से निबटने के लिये जिस रणनीति का ब्लूप्रिंट तैयार किया गया, संभव है कि उसे आने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में स्वीकृति मिले.
रूस की ओर से बयान आया है कि इस बैठक में पांचों देशो ने मिलकर एंटी टेररिज़्म स्ट्रैटिजी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. इस ड्राफ्ट स्ट्रैटिजी में कहा गया है कोई भी देश किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा और उसकी संप्रभुता का सम्मान करेगा. साथ ही इस ड्राफ्ट में सुरक्षा मामलों में अंतराष्ट्रीय कानून के पालन की अनिवार्यता की बात कही गयी है और संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका को प्राथमिकता दी गयी है.
यह बयान भारत चीन के बिगड़्ते संबंधों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व्पूर्ण है. क्योंकि जहां तक किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की बात आती है तो चीन लगातार ही भारत के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करता रहता है, विशेषकर की जम्मू कश्मीर के मुद्दे में. उसने पाकिस्तान के साथ मिलकर कितनी ही बार जम्मू कश्मीर पर से धारा 370 हटने के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने की कोशिश की. लेकिन अन्तराष्ट्रीय समुदाय ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और उसे हर बार मुंह की खानी पड़ी.
और अंतराष्ट्रीय नियम कानूनों के पालन में भी चीन का ट्रैक रिकार्ड बहुत अच्छा नही है. और जहां तक संयुक्त राष्ट्र संघ की बात है तो जहां चीन को लगता है कि उसके फायदे की बात है, वहां वह संयुक्त राष्ट्र संघ के नियम कानूनों की दुहाई देने लगता है और जहां लगे उसके मतलब की बात नहीं है, वहां संयुक्त राष्ट्र उसे कुछ भी नही लगता.
हालांकि चूंकि यह बहुपक्षीय वार्ता थी और वो भी आंनलाइन, इसीलिये भारत और चीन के बीच इस फोरम में कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई, लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच गहराते बार्डर विवाद के चलते इस बैठक को अहम माना जा रहा है.