अर्चना कुमारी कोविशील्ड वैक्सीन के कथित दुष्प्रभावों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक की अध्यक्षता में चिकित्सा विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित करने का निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की गई है।
कोविशील्ड निर्माता की यूनाइटेड किंगडम में टीके के दुष्प्रभावों की स्वीकारोक्ति की रिपोर्ट सामने आने के बाद अधिवक्ता विशाल तिवारी ने यहां यह याचिका दायर की है।
यह याचिका 2021 की लंबित एक जनहित याचिका के मद्देनजर दायर की गई है। उन्होंने अपनी याचिका में दलील देते हुए केंद्र सरकार को उन नागरिकों के लिए टीका क्षति भुगतान करने और उसके लिए एक टीका क्षति प्रणाली स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की है, जो कोविड-19 महामारी के दौरान टीकाकरण अभियान के परिणामस्वरूप गंभीर रूप से विकलांग हो गए या जिनकी मृत्यु हो गई है।
दलील देते हुए आवेदक ने आगे कहा कि सरकार द्वारा सुरक्षा के आासन पर कोविड-19 वैक्सीन अभियान के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को कोविशील्ड की वैक्सीन दी गई।याचिका में कहा गया, कोविड-19 के टीके लेने के बाद दिल का दौरा पड़ने और अचानक बेहोश होने से मौत के मामले बढ़े हैं।
यहां तक कि युवाओं में भी दिल का दौरा पड़ने के कई मामले सामने आए हैं। कहा गया है, अब कोविशील्ड के डेवलपर द्वारा यूके की एक अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज के बाद हम भारत में बड़ी संख्या में नागरिकों को दी गई उस वैक्सीन के जोखिम और खतरनाक परिणामों के बारे में सोचने के लिए मजबूर हुए हैं। सरकार को इसके लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के इस मामले से केंद्र सरकार को प्राथमिकता के आधार पर निपटना होगा ताकि, भविष्य में भारत के नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन को लेकर कोई खतरा उत्पन्न न हो।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, उच्च न्यायालय (यूके में) में 51 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें पीड़तिों और दुखी रिश्तेदारों ने 100 (यूके पाउंड) मिलियन तक की अनुमानित क्षति की गुहार लगाई है।