आईएसडी नेटवर्क। श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। एक आरटीआई के जवाब में भारतीय पुरातत्व विभाग ने दावा किया है कि यहाँ मस्जिद बनने से पूर्व कटरा केशवदेव मंदिर था। पुरातत्व विभाग ने कहा है कि इसी मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बना दी गई थी। शुक्रवार को श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका पर सीजेएम कोर्ट में सुनवाई की गई। ट्रस्ट ने कहा है कि शाही ईदगाह मस्जिद के नाम से कोई भी अभिलेख वर्तमान में मौजूद नहीं है। अयोध्या के बाद काशी और अब मथुरा की बेड़ियां टूटने का उपक्रम शुरु हो गया है। आरटीआई द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में आगरा के पुरातत्व विभाग का कहना है कि औरंगजेब द्वारा जब मंदिर तोड़ा गया, तो उसके स्थान पर बनवाई गई मस्जिद के स्थान पर ही शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई थी।
उत्तरप्रदेश के मैनपुरी निवासी अजय प्रताप सिंह ने सूचना के अधिकार देशभर के मंदिरों की जानकारी मांगी थी। उन्होंने इस सवाल के जरिये मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बारे में भी जानकारी मांगी थी। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इण्डिया ने सन 1920 में प्रकाशित हुए गजट के आधार पर अजय प्रताप सिंह के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि मस्जिद से पहले इस स्थान पर कटरा केशवदेव मंदिर हुआ करता था। इसे ध्वस्त करने के बाद मस्जिद का निर्माण किया गया था। ब्रिटिश इण्डिया के 1920 के गजट में लिखा हुआ है कि ये मंदिर यहाँ कटरा टीले पर हुआ करता था।
गजट में साफ किया गया है कि 39 स्मारकों में 37 नंबर पर यह दर्ज है। उल्लेखनीय है कि मथुरा के शाही ईदगाह पर सनातनी भगवान कृष्ण के जन्मस्थान होने का दावा करते हैं। जबकि मुस्लिम पक्ष ये तथ्य मानने से इंकार करता है। इतिहास की जानकारियां बताती है कि सन 1670 में औरंगजेब ने मंदिर ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण कराया था। औरंगजेब द्वारा मंदिर ध्वस्त करने की जानकारी साकी मुस्तैद खान की मासीर-ए-आलमगिरी में लिखी हुई है। ये ऐतिहासिक किताब सन 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद लिखी गई थी।
इसमें लिखा है ‘महामहिम (औरंगजेब) ने, इस्लाम की स्थापना के लिए उत्सुक होकर, सभी प्रांतों के राज्यपालों को काफिरों के स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया और अत्यंत तत्परता के साथ इन अविश्वासियों के धर्म की शिक्षा और सार्वजनिक अभ्यास को बंद कर दिया। औरंगजेब के बारहवें शासनकाल में 9 अप्रैल,1669 को जारी किए गए शाही फरमान के कारण काशी में विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में केशवदेव मंदिर दोनों नष्ट हो गए। सरकार ने इसे औरंगज़ेब के बड़े “हिंदू धर्म पर हमले” के हिस्से के रूप में व्याख्यायित किया।’
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इण्डिया द्वारा बताया गया ये तथ्य श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए अतिरिक्त उत्साह प्रदान करेगा। मथुरा भूमि पर भी हलचल शुरु हो चुकी है। शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई में ट्रस्ट ने मांग उठाई है कि शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी सचिव के विरुद्ध गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज किया जाए। आरोप है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर की जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी सचिव ने दस्तावेजों में हेरफेर करके कमेटी के नाम से अवैध रजिस्ट्रेशन कराया था।
वहीं शाही ईदगाह मस्जिद के नाम से कोई भी अभिलेख वर्तमान में मौजूद नहीं है। यहाँ तक कि नगर निगम खतौनी और राजस्व अभिलेख में श्री कृष्ण जन्मभूमि के नाम से अभिलेख दर्ज है। इसके बाद न्यायालय ने कमेटी सचिव से दस्तावेज़ उपलब्ध कराने के लिए कह दिया है। आरोप लगाए हैं कि फर्जी दस्तावेज तैयार करके 49 वर्ष पूर्व शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी का रजिस्ट्रेशन कराया था।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है। इसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ के क्षेत्र में में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। 2020 मे श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी। इसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया। ब्रिटिश शासन काल में जब इस जगह की नीलामी हुई तो सन 1815 में वाराणसी के राजा पटनी मल ने ये जगह खरीद ली थी।
इसके बाद सन 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने मथुरा की यात्रा की। मालवीय श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा देख बहुत दुखी हुए थे। इसके बाद उन्होंने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा। 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई। इसके बाद 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईद का मस्जिद कमेटी द्वारा किया गया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद का यह पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है। इस जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर है तो बाकी बचे 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की है।