अर्चना कुमारी जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र समूहों ने सीएए लागू किए जाने के खिलाफ मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया और इसे वापस लेने की मांग की।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को रद्द करने और लगभग चार साल पहले सीएए विरोधी प्रदर्शनों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए सभी छात्रों को रिहा करने की मांग की।
उन्होंने छात्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की भी मांग की। छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर के अंदर से मीडिया को संबोधित किया, जबकि दिल्ली पुलिस बाहर तैनात रही।
विरोध प्रदर्शन में ’दिल्ली पुलिस वापस जाओ’ और ’इंकलाबं जिंदाबाद जैसे नारे लगाए गए। उधर,नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू किये जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली विश्व विद्यालय कला संकाय में एकत्रित हुए लगभग 55 छात्रों को मंगलवार को हिरासत में लिया गया।
वामपंथ से संबंधित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के कई विद्यार्थियों ने सोमवार को केंद्र द्वारा लागू सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया था।
आइसा की दिल्ली वीवी इकाई के अध्यक्ष माणिक गुप्ता ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही विद्यार्थियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘कई छात्र जो विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले रहे थे और कला संकाय के बाहर सिर्फ खड़े थे उन्हें भी संदेह के आधार पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया।‘‘
उन्होंने दावा किया कि विद्यार्थियों के साथ क्रूर व्यवहार किया गया। पुलिस उपायुक्त (उत्तर) एम के मीणा ने ‘ बताया, ‘‘हमने एहतियाती कदम उठाते हुए सेंट्रल लाइब्रेरी (कला संकाय के सामने) से लगभग 50 से 55 छात्रों को हटाया, जो सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
उन्हें वहां से हटाया गया और उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस द्वारा छात्रों की पिटाई के सभी आरोप निराधार हैं क्योंकि हमने सभी की वीडियो रिकॉर्डिंग की है।‘‘ सीएए लागू किये जाने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया सहित अन्य परिसरों में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।
छात्र संगठनों ने जामिया में संवाददाताओं को संबोधित कर अधिनियम को वापस लेने और उन सभी छात्रों की रिहाई की मांग की, जिन पर लगभग चार वर्ष पहले सीएए को लेकर विरोध- प्रदर्शन की वजह से मुकदमा दर्ज किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को सीएए लागू किया था।