अर्चना कुमारी। बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक राजपूत को पहले गोली मार दी गई। उसके बाद उनका गला काटकर सिर को पत्थरों से कुचल दिया गया था ताकि उसकी पहचान ना हो पाए। पुलिस सूत्रों का दावा है कि अभिषेक राजपूत की हत्या तालिबान और आतंकी संस्था आईएसआईएस स्टाइल में किया गया था।
इतना ही नहीं वहां फंसी हिंदू महिलाएं अपने सुहाग की प्रतीक बिंदी और चूड़ियां उतारकर किसी तरह बच निकलने में सफल हुई थी।उन्होंने प्यास लगने पर टॉयलेट का पानी पिया था तथा उन्हें हर पल जान का भय सता रहा था। एक हिंदू महिला ने बातचीत में सिसकते हुए बताया कि वह किस तरह अपने ग्रुप के लोगों के साथ ब्रज मंडल यात्रा में गई थी और दंगे के दौरान मुस्लिमों की भीड़ के बीच में फस गई थी।उसका कहना था कि उन लोगों ने मंदिर में छिपकर जान बचाई तथा उन पर बर्बरता किया गया।
छोटे छोटे बच्चों को भी पत्थर मारे गए और इन लोगों को भय था कि वह शायद ही बच पाएगी। लेकिन ईश्वर का वह शुक्रगुजार है कि किसी तरह बच गई। लेकिन अभिषेक इतना सौभाग्यशाली नहीं निकला । हथीन इलाके में रहने वाले भारत भूषण बताया कि घटना के दिन 31 जुलाई को अभिषेक पानीपत से नल्हड मंदिर में जल चढ़ाने आए थे। इस दौरान वह मुस्लिमों भीड़ के हमले की चपेट में आ गए। भारत भूषण के मुताबिक, दंगाइयों ने अभिषेक को पहले गोली मारी और बाद में उनका गला रेत दिया। उन्होंने कहा कि अभिषेक के परिजन लाश लेने नूहं आए हुए हैं।
पानीपत के जिला संयोजक बॉबी बताया कि अभिषेक सहित लगभग 100 लोग एक बस और कुछ गाड़ियों से नूह के नल्हड मंदिर गए थे। इस दौरान मंदिर में पूजा करके निकलने के कुछ ही देर बाद उन पर लगभग 250 मुस्लिमों की भीड़ ने अचानक हमला कर दिया। उनके काफिले के साथ हरियाणा पुलिस का एक अधिकारी कुछ सिपाहियों के साथ चल रहा था, जो सिर्फ एकाध हवाई फायर कर के वहां से चल दिए। चश्मदीद बॉबी ने आगे बताया कि हिन्दू संगठनों ने पुलिस वालों की रक्षा की और उनके साथ खड़े रहे।
इस दौरान मुस्लिमों की भीड़ महिलाओं की तरफ आगे बढ़ी तो हिन्दू संगठनों ने पहले उन्हें सुरक्षित करने का निर्णय लिया। महिलाओं को वापस मंदिर की तरफ भेजा जाने लगा तो मुस्लिमों की तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। फायरिंग में पानीपत के नूरवाला क्षेत्र के निवासी अभिषेक राजपूत के कमर में गोली लगी और वो वहीं गिर पड़े।
बॉबी के अनुसार, अभिषेक के साथ चल रहे व्यक्ति ने उन्हें उठाने की कोशिश की पर वो अचेत हो गए थे।बॉबी ने यह भी दावा किया कि भीड़ में शामिल हमलावरों ने पहले तालिबानी अंदाज़ में अभिषेक का गला काटा और बाद में पत्थरों से उनके सिर को कूँच डाला। अभिषेक की मौके पर ही मौत हो गई।
बॉबी ने बताया कि अभिषेक बजरंग दल के प्रखंड संयोजक थे और वह पानीपत के एक गरीब परिवार से आते थे। घर का गुजारा करने के लिए कार मैकेनिक का काम करते थे। अभिषेक का एक भाई और है, जो किसी फैक्ट्री में काम करता है। मृतक के पिता भी मेहनत-मजदूरी कर के बच्चों को पोसे थे।