अर्चना कुमारी उत्तराखंड सरकार अंकिता भंडारी को इंसाफ तो नही दिला पाई लेकिन उनका साथ देने वाले आशुतोष नेगी को जेल भेज कर इस आंदोलन को हवा दे दी है।
उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को इंसाफ दिलाने के लोग लगातार मुखर होकर सड़क पर उतर रहे है और सोशल मीडिया में धामी सरकार की आलोचना हो रही है। जिस तरह से आशुतोष को पकड़ा गया। यह मामला देश भर में राजनीतिक रंग लेता जा रहा है और एक्स पर लगातार ट्रेंड कर रहा है।
आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी का मुद्दा लगातार जोड़ पकड़ने लगा है। विपक्षी दल इसे अंकिता भंडारी हत्याकांड में मुखर होने के चलते आंदोलन को दबाने का मामला मानते है।
अंकिता भंडारी के माता-पिता और आशुतोष नेगी के समर्थन में पौड़ी, श्रीनगर में धरना प्रदर्शन भी किया गया है। अंकिता भंडारी केस में न्याय के लिए लड़ रहे आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को अंकिता भंडारी केस को कमजोर करने के नजरिये से देखा जा रहा है।
आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी और इस दौरान अंकिता की माता को धक्का देकर नीचे गिराने से आम जनता काफी नाराज है। आशुतोष मामले में भाजपा की ओर से भी बयान आया है कि यह गिरफ्तारी पुराने मामले में हुई है और अंकिता भंडारी हत्याकांड से इस गिरफ्तारी का कोई सरकार नहीं है।
सनद रहे उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में मुखर होने और अंकित के माता-पिता के साथ देने वाले आशुतोष नेगी को 5 मार्च को पौड़ी पुलिस ने पौड़ी आरटीओ ऑफिस के पास से गिरफ्तार किया था। जिसके बाद आशुतोष नेगी को बुधवार को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया था।
पेशी के बाद आशुतोष नेगी के कोर्ट से बाहर आने के दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की हो गई और अंकिता की माता को भी धक्का लग गया। जिससे वे नीचे गिर गयीं। इस पूरे मामले की वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है जिसको देखकर लोग पुलिस के इस व्यवहार पर नाराजगी जता रहे हैं।
इसके विरोध में लोग सड़कों पर उतर आये हैं और धरने-प्रदर्शन के जरिए सरकार का विरोध कर रहे हैं।कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि जहां उत्तराखंड पुलिस अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी के नाम का खुलासा करने में अब तक नाकाम रही है।
वहीं पुलिस द्वारा मामले को उलझाने के लिए कमरे का नाम ही वीआईपी बताया जा रहा है। जिससे साबित होता है कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा अपराध और अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।
उनका कहना है कि अंकिता हत्याकांड में सरकार और पुलिस के संरक्षण में भाजपा नेता के रिजॉर्ट्स पर आनन-फानन में बुलडोजर चलाकर सारे साक्ष्य मिटा दिए गए। वर्तमान पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार को भी यह स्पष्ट करना चाहिए कि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक और अंकित भंडारी के पिता के बीच दूरभाष पर हुई बातचीत को सोशल मीडिया में जानबूझकर क्यों वायरल किया गया।
पुलिस ने आशुतोष नेगी को गिरफ्तार करने में जो तत्परता दिखाई है। उतनी ही तत्परता दोषियों को पकड़ने में दिखाई होती तो पीड़िता के माता-पिता को न्याय के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ता।
आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को अंकिता भंडारी हत्याकांड प्रकरण से जोड़े जाने पर डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच के दौरान उत्तराखंड पुलिस किसी भी तरह के दबाव में नहीं थी।
हमें सरकार और मुख्यमंत्री का पूरा सहयोग मिला। राज्य पुलिस ने निष्पक्ष और साहसिक जांच की है। ऐसे में आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को लेकर सरकार पर आरोप लगाना पूरी तरह गलत है। जबकि दूसरी और पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी से यह मामला देश भर में राजनीतिक रंग लेता जा रहा है कांग्रेस नेता पवन खेड़ा, कांग्रेस नेत्री अल्का लांबा और राज्यसभा सांसद स्वाती मालीवाल ने भी इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट किया।
पत्रकार आशुतोष नेगी भी अंकिता भंडारी के पौड़ी डोभ गांव के ही निवासी हैं। वह पहले दिन से ही इस केस की पैरवी करते नजर आये थे। एक बार एक जब उनसे पूछा गया आपको डर नहीं लगता तो उन्होंने कहा अपनी बेटी के लिए आवाज और न्याय मांगना कहाँ का डर, वह मेरे गांव की बेटी थी।
उसके लिए मैं लडूंगा, आशुतोष नेगी ने पिछले कुछ दिनों से इस केस को अपने साप्ताहिक समाचार पत्र जागो उत्तराखंड के कवर स्टोरी में छापना शुरू कर दिया, जिसके बाद से यह मामला गरमाता गया और अंकिता के माता – पिता के साथ वह धरने पर बैठ गए ,जिससे मामला तूल पकड़ा।