श्वेता पुरोहित-
अग्निदेव कहते हैं – अब मैं बुद्धावतार का वर्णन करूँगा, जो पढ़ने और सुनने वालों के मनोरथ को सिद्ध करनेवाला है।
पूर्वकाल में देवताओं और असुरों में घोर संग्राम हुआ। उस में दैत्यों ने देवताओं को परास्त कर दिया। तब देवता लोग ‘त्राहि-त्राहि’ पुकारते हुए भगवान्की शरणमें गये। भगवान् मायामोहमय रूप में आकर राजा शुद्धोदन के पुत्र हुए। उन्होंने दैत्यों को मोहित किया और उनसे वैदिक धर्म का परित्याग करा दिया। वे बुद्ध के अनुयायी दैत्य ‘बौद्ध’ कहलाये । फिर उन्होंने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का त्याग करवाया। इसके बाद माया-मोह ही ‘आर्हत’ रूप से प्रकट हुआ। उसने दूसरे लोगों को भी ‘आर्हत’ बनाया। इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वञ्चित होकर पाखण्डी बन गये। उन्होंने नरक में ले जानेवाले कर्म करना आरम्भ कर दिया। वे सब-के-सब कलियुग के अन्त में वर्णसंकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे। इतना ही नहीं, वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे। वाजसनेय (बृहदारण्यक) – मात्र ही ‘वेद’ कहलायेगा। वेद की दस-पाँच शाखाएँ ही प्रमाणभूत मानी जायँगी। धर्म का चोला पहने हुए सब लोग अधर्म में ही रुचि रखनेवाले होंगे। राजारूपधारी म्लेच्छ मनुष्यों का ही भक्षण करेंगे।
🪷 कल्कि अवतार 🪷
तदनन्तर भगवान् कल्कि प्रकट होंगे। वे श्रीविष्णुयशा के पुत्र रूप से अवतीर्ण हो याज्ञवल्क्य को अपना पुरोहित बनायेंगे। उन्हें अस्त्र-शस्त्र-विद्या का पूर्ण परिज्ञान होगा। वे हाथ में अस्त्र-शस्त्र लेकर म्लेच्छों का संहार कर डालेंगे तथा चारों वर्णों और समस्त आश्रमों में शास्त्रीय मर्यादा स्थापित करेंगे। समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग में लगायेंगे। उसके बाद श्रीहरि कल्कि रूप का परित्याग करके अपने धाम में चले जायँगे। फिर तो पूर्ववत् सत्ययुग का साम्राज्य होगा। सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म में दृढ़ता पूर्वक लग जायँगे।
इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पों तथा मन्वन्तरों में श्रीहरि के अवतार होते हैं। उनमें से कुछ हो चुके हैं, कुछ आगे होनेवाले हैं; उन सबकी कोई नियत संख्या नहीं है। जो मनुष्य श्रीविष्णु के अंशावतार तथा पूर्णावतारसहित दस अवतारों के चरित्रों का पाठ अथवा श्रवण करता है, वह सम्पूर्ण कामनाओं को प्राप्त कर लेता है। तथा निर्मलहृदय होकर परिवारसहित स्वर्ग को जाता है। इस प्रकार अवतार लेकर श्रीहरि धर्म की व्यवस्था और अधर्म का निराकरण करते हैं। वे ही जगत्की सृष्टि आदि के कारण हैं।
कल्कि देव की जय 🙏🚩