अर्नचा कुमारी। इस्लामिक हिंसा का शिकार हो चुके हैं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मुस्लिम भीड़ ने खड़गे की मां , बहन और भाई को जिंदा जला दिया था। करीब 9 बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके खड़गे 1972 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरे थे। सिर्फ एक बार 2019 का लोकसभा चुनाव हारे ।
कांग्रेस में 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर कोई नेता अध्यक्ष बना । लेकिन बहुत कम लोग जानते है खड़गे का परिवार इस्लामिक दंगा का शिकार रहा है,बताया जाता है 1947 जब देश आजाद हो रहा था उस समय मैसूर राज्य अब कर्नाटक का वरवट्टी गांव। यहां निजाम की हुकूमत थी। भारत को बांटकर पाकिस्तान बनाया गया, तो इस इलाके में भी हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क गए थे। वरवट्टी गांव पर निजाम की सेना ने हमला कर दिया।
साथ में लुटारी अमीरों को लूटने वाले भी थे। उन्होंने पूरे गांव में आग लगा दी। यहीं एक घर में 5 साल के बच्चे ने अपनी मां भाई व बहन को जिंदा जलते देखा।बाद में पिता उसे बचाकर गांव से दूर ले गए।
3 महीने जंगल में रहे और मजदूरी की। बच्चे को काम में लगाने के बजाय पढ़ाया। बच्चा मल्लिकार्जुन बना , पहले वकील , फिर यूनियन लीडर, विधायक, अपने प्रदेश में मंत्री, सांसद, केंद्रीय सरकार में मंत्री और अब कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष।
लेकिन तीन बार कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए।खड़गे इंदिरा गांधी के समय से गांधी परिवार के करीब रहे हैं। इनकी साईबववा (मां) और मपन्ना खड़गे (पिता) थे ,दलित समुदाय से आने वाले मपन्ना ने अपने जीवित रहते मल्लिकार्जुन को कभी काम नहीं करने दिया। मल्लिकार्जुन बचपन से पढ़ाई में तेज थे।
वे कबड्डी के अच्छे प्लेयर थे। मल्लिकार्जुन खड़गे की पत्नी का नाम राधाबाई है। उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं। बड़े बेटे राहुल खड़गे परिवार का बिजनेस संभालते हैं। दूसरे बेटे मिलिंद डॉक्टर हैं, उनका बेंगलुरु में स्पर्श नाम से हॉस्पिटल है। छोटे बेटे प्रियांक खड़गे गुलबर्गा जिले के चित्तपुर से विधायक हैं।