सारा कुमारी। ग्लोबलिस्ट एक नई प्रकार की प्रयोगशाला खोल रहे हैं। धीरे-धीरे पुरुष और मानव जीवन के साथ-साथ स्त्री और पुरुष के बीच संबंध अनावश्यक हो जाते हैं। क्यों? क्योंकि उर्वरता ( प्रजनन) का एक समानांतर तंत्र बनाया जा रहा है: स्वाभाविक रूप से नहीं, बल्कि कृत्रिम रूप से। आईएसडी के सभी दर्शकों ने कृत्रिम गर्भाशय वाली वीडियो अवश्य देखी होगी।
आज, बायोटेक फर्मों की प्रगति पहले से ही इस बिंदु पर पहुंच गई है कि अंग निकालने के लिए मानव भ्रूण की खेती के माध्यम से प्रजनन क्षमता सुनिश्चित की जा सकती है।
वास्तव में, हम “सिंथेटिक” मानव भ्रूण के बारे में बात कर रहे हैं, जिसका उपयोग बांझपन, आनुवंशिक रोगों और उम्र बढ़ने जैसी बीमारियों के प्रत्यारोपण और उपचार की सुविधा के लिए अंग संचयन के लिए किया जाएगा।
उदाहरण के लिए, इज़राइली कंपनी “रिन्यूअल बायो” ने कहा कि उसने चूहे के भ्रूण को विकसित करने के लिए उन्नत स्टेम सेल तकनीक और कृत्रिम गर्भाशय का सफलतापूर्वक उपयोग किया जो कई दिनों तक विकसित होता रहा। भ्रूण तब तक जीवित रहे जब तक उनमें धड़कने वाला दिल, रक्त प्रवाह और मस्तिष्क की शुरुआत नहीं हो गई।
हां, कोई कहेगा कि यह अभी भी चूहे पर ही प्रयोग हुआ हैं, अर्थात यह प्रयोग अभी मंगल ग्रह जितना दूर हैं। लेकिन कल, जब वे मानव भ्रूण विकसित करना शुरू करेंगे, तो यह अनिवार्य रूप से आएगा, क्योंकि पश्चिम में अन्य फर्में, जहां इस तरह के शोध की अनुमति है, इसी तरह का काम कर रही हैं। और पहले से ही पेटेंट प्रौद्योगिकियां हैं, जैसा कि मेरी पसंदीदा फिल्मों में से एक “द मैट्रिक्स” में – पोषक तत्वों के खेतों से जुड़े artificial Queen के पूरे क्षेत्र, जहां लोगों को प्राकृतिक निषेचित अंडे से उगाया जा सकता है।
इसलिए, यह संयोग मात्र नहीं है कि हम पश्चिम में यौन व्यवहार के सभी प्रकार के विकृत रूपों को देखते हैं, जिनका उद्देश्य प्रजनन के लिए नहीं, बल्कि ट्रांसजेंडरवाद के माध्यम से जनसंख्या की नसबंदी करना है। अर्थात्, नैतिकता की संपूर्ण पारंपरिक व्यवस्था का विनाश, जो सदियों से सनातन शिक्षण के आधार पर स्थापित किया गया है। समानांतर में, एक नया व्यक्ति बनाने की एक बहुआयामी और बहु-चरणीय प्रक्रिया है – जहां पैदा होने वाला मानव जीव, एक परिवार से बंधा नहीं, माता-पिता, दादा-दादी के, किसी भी मानवीय संबंधों के बिना, जिसकी एक परखनली में कल्पना की गई। और उसे एक सीमित शिक्षा दी जाएगी।
प्राकृतिक अनुवांशिक सेट पर आधारित एक सशक्त, सक्षम व्यक्ति नहीं, वरन एक प्रकार का आधिकारिक व्यक्ति, जिसकी कोई स्वतंत्र सोच विकसित ना हों।
शासक अभिजात वर्ग ( global elite) स्वयं इन कुत्रिम मनुष्यों में सबसे ऊपर रहेगा, मानवीय संबंधों की पारंपरिक दुनिया को पुन: पेश करेगा, परिभाषित करेगा। इसलिए मेरा मानना है कि देश को बाहरी खतरों से बचाने के साथ-साथ इन आंतरिक सरकार या कोर्ट के फैसलों से भी बचाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। देश ही नहीं, पूरी मानव सभ्यता को रोशनी और दिशा देना जरूरी है। अन्यथा, मानव जाति के विध्वंसक, प्रगतिवादियों के मुखौटे के नीचे छिपकर, एक ऐसा घिनौना खेल होने वाला है, जो अब तक के मानव जाति पर हुए,सभी आक्रमण को बौना साबित कर देगा।