राजधानी की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे में हिंसा के दौरान हवलदार कांस्टेबल रतनलाल की हत्या के मामले की एक आरोपी शादाब अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी। एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और उसके भागने की आशंका है क्योंकि वो दिल्ली का निवासी नहीं है।
अदालत ने कहा कि हवलदार रतन लाल की हत्या के समय आरोपी का लोकेशन घटनास्थल के आसपास का है जबकि अदालत ने माना कि आरोपी शादाब अहमद सह-आरोपियों उपासना, अतहर, तबस्सुम और सलमान सिद्दीकी के लगातार संपर्क में था। कोर्ट ने कहा कि आरोपी की ओर से पेश वकील ने रतनलाल की हत्या के समय आरोपी शादाब अहमद से तीन बार बात की थी। भले ही यह संयोग हो सकता है लेकिन वो महत्वहीन नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि वो वकील की नैतिकता पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं लेकिन अदालत ने कहा कि इस मामले के सह-आरोपियों मोहम्मद दानिश, मोहम्मद इब्राहिम, बदरुल हसन और मोहम्मद आरिफ की जमानत याचिका पहले ही खारिज कर चुका है।
इस आरोपी की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस की ओर से वकील ने विरोध करते हुए कहा कि ये एक अजीब केस है जिसमें लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले को लोगों ने जमकर पिटाई की जबकि यह माना जा सकता है कि ऐसा प्रदर्शन की आड़ में साजिश के तहत किया गया। उन्होंने कहा कि शिव विहार तिराहा और चांदबाग पुलिया के पास कई हत्याओं को अंजाम दिया गया। इन स्थानों पर लूटपाट और आगजनी की घटनाएं हुई और सीसीटीवी कैमरे भी तोड़े गए। दिल्ली पुलिस की वकील ने अदालत में वीडियो प्ले कर दिखाया और घटनास्थल पर घटित घटनाओं का विस्तार से जिक्र किया।
आरोपी शादाब अहमद की ओर कहा गया कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ऐसे में आरोपी की हिरासत में रखने की कोई जरुरत नहीं है। उसके वकील नेे कहा इस केस में ट्रायल में लंबा समय लग सकता है जबकि आरोपी का पूर्व का इतिहास साफ-सुथरा है इसलिए उसे जमानत दी जाए लेकिन पुलिस क्योंकि ने विरोध किया जिसके बाद जज ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
उधर, हाईकोर्ट 60 वर्षीय एक आरोपी शरीफ खान को नियमित जमानत दे दी है । जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा कि अंतरिम जमानत अवधि के दौरान आरोपी का व्यवहार संतोषजनक था और वो किसी भी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं हुआ था।सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि जांच अधिकारी की रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी का व्यवहार अंतरिम जमानत अवधि के दौरान संतोषजनक था।
आरोपी ने अपना और अपनी बेटी का मोबाइल नंबर जांच अधिकारी को दिया था और आरोपी जांच अधिकारी को हमेशा रिपोर्ट करता था। 45 दिनों की अंतरिम जमानत अवधि के दौरान आरोपी कभी भी किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं हुआ।
इस पर अदालत ने आरोपी को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और दिल्ली नहीं छोड़ने का आदेश दिया अदालत ने आरोपी को अपना और अपने परिजनों का फोन नंबर जांच अधिकारी को मुहैया कराने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने आरोपी को हर दो दिन पर जांच अधिकारी को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया कि जांच अधिकारी की ओर से जांच के लिए बुलाए जाने पर वो जांच में शामिल होगा और कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया कि वो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा।इसके पहले हाईकोर्ट ने शरीफ खान को 45 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी।
शरीफ खान की ओर से वकील ने आरोपी की उम्र का हवाला दिया और कहा कि इस मामले में अधिकांश सह-अभियुक्त या तो अंतरिम जमानत पर हैं या उन्हें नियमित जमानत मिल चुकी है । इस पर अदालत ने उसे जमानत दे दी ज्ञात रहे शरीफ खान के खिलाफ फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के दौरान खजूरी खास थाने में प्राथमिकी दर्ज है।