दिल्ली हिंसा मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस को कुछ आरोपियों के खाता-बही हाथ लगे है, जिसमें दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने के लिए कितने रुपए खर्च किए गए। इसके ब्योरे लिखे हुए हैं।
पुलिस को ऐसा एक रजिस्टर और कुछ आरोपियों के ही खाते में हुए लेनदेन का पता चला है। लेकिन माना जा रहा है कि दिल्ली हिंसा के लिए इससे भी अधिक धन इससे भी अधिक दंगाइयों पर खर्च किए गये हैं। पुलिस को अभी अन्य आरोपियों के खाते में हुए लेनदेन का पता करना बाकी है। अन्य आरोपियों के लेन-देन की जांच प्रक्रिया चल रही है, जबकि माना जा रहा है कि अधिकांश आरोपियों को दंगे भड़काने के लिए नगद में रुपए दिए गए। जिसकी जांच अभी जारी है।
पुलिस सूत्रों की माने तो दिल्ली में दंगे होने से पहले कुछ आरोपियों के खाते में एक करोड़ 62 लाख 46 हजार 53 आए थे। इनमें से दंगों के आरोपियों ने 1 करोड़ 47 लाख 98 हजार 893 रुपये दिल्ली में चल रहे CAA और NRC विरोध प्रदर्शनों और दिल्ली में दंगा करवाने पर खर्च किए थे। दंगा होने से पहले आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के खाते में कुल एक करोड़ 32 लाख 47 हजार जमा थे। जिनमें से एक करोड़ 29 लाख 25 हजार 500 रुपये दंगे से पहले या दंगे के दौरान खर्च किए गए।
ताहिर हुसैन ने भी पूछताछ में खुलासा किया की इनमें से बहुत बड़ी रकम हिंसा के लिए मुस्लिम समाज के लोगों को इकट्ठा करने और दंगों में इस्तेमाल होने वाले सामान खरीदने के लिए किया गया। उसने यह भी बताया था कि इसमें से कुछ रुपए फरारी के दौरान भी खर्च हुए थे।
इसके अलावा हिंसा आरोपों में दबोचे गए शफी उर रहमान के खाते में 12, 88,559 रुपये लेन देन का पता चला है, जिसमें 5,55,000 रुपये कतर, ओमान, सऊदी अरब से भेजे गए। वैसे पूछताछ में उसका दावा था इनमें से 9,34,600 रुपये सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों की जगह पर खर्च किए गए थे।
जिसके घर से रुपए के ब्योरे लिखा रजिस्टर मिला, पुलिस ने जब उस मीरान हैदर नामक आरोपी के घर छापेमारी की तो ढाई लाख नगद मिला था जबकि उसके खाते में भी 5,46,494 रुपये आए थे, जिनमें से 2,67,000 रुपए दंगे के लिए निकालकर खर्च किए गए।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि कुछ आरोपियों के खाते के विवरण ही मिले हैं लेकिन ना जाने और कितने रुपए दिल्ली दंगों के लिए खर्च किए गए होंगे इसकी जांच की जा रही है।
दिल्ली पुलिस को जांच के दौरान पता चला है नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन और दंगों के लिए फंडिंग देश- विदेश से की गई थी। इनमें कुख्यात भगोड़ा जाकिर नाइक से लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) तथा जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी समेत दर्जनभर अन्य मुस्लिम संगठन शामिल है।
विदेश में बैठे कुछ ऐसे लोगों ने भी फंडिंग की थी, जो नहीं चाहते कि भारत में हिंदू मुस्लिम एकता और शांति बनी रहे। ऐसे लोग भारतीय मूल के विदेशी प्रवासी तथा पाकिस्तान, सऊदी अरब, ओमान, कतर, अमेरिका इंग्लैंड आदि देशों के हैं। दंगा आरोपियों को सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि ओमान, कतर, यूएई और सऊदी अरब से भी फंडिंग किए जाने की तो पुष्टि हो गई है।
जिन आरोपियों के खाते में फंडिंग आई है, उनमें प्रमुख रूप से ताहिर हुसैन, मिरान हैदर, इशरत जहां, खालिद सैफी, शफीक उर रहमान आदि प्रमुख रूप से शामिल है जबकि ‘पिंजरा तोड़’ की देवांगना कलिता, नताशा ,जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद तथा शरजील इमाम समेत कुछ अन्य आरोपियों को भी धन मुहैया कराए जाने का शक है, जिसकी जांच अभी चल रही है।
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