स्पेशल सेल ने 15 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में जो आरोप पत्र दायर किया है, उस पर अदालत ने संज्ञान ले लिया है। आरोपियों को समन जारी करते हुए अगली सुनवाई की तिथि (21 सितंबर) पर उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
आरोप पत्र में कहा गया है कि दंगों को लेकर बड़ी साजिश की गई थी। सोची समझी रणनीति के तहत व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए और प्रत्येक ग्रुप को दंगा कराए जाने की जिम्मेवारी दी गई। उधर, पुलिस ने दावा किया पुलिस रिमांड में उमर खालिद दिल्ली में दंगा कराए जाने की बात कबूली है।
कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर आरोप पत्र पर संज्ञान ले लिया । सुनवाई के दौरान स्पेशल सेल को सभी आरोपियों के वकीलों को 21 सितंबर तक आरोप पत्र की प्रति उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।
सुनवाई के दौरान वकील महमूद प्राचा ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देकर आरोप पत्र पर संज्ञान न लेने का आग्रह किया, तब एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने कहा कि मुझे पता है, आप जो आपत्ति उठा रहे हैं। मैं रात को सोया नहीं हूं और आरोप पत्र ही पढ़ रहा हूं।
दरअसल 16 सितंबर को स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा में साजिश रचने के मामले में यूएपीए और आर्म्स एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र में डिजिटल साक्ष्यों, व्हाट्सएप चैट और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स के आधार पर केंद्र सरकार से अभियोजन चलाने की अनुमति ली गई है। आरोपपत्र में व्हाट्सएप चैट का हवाला दिया गया है, जिस दिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों की शुरुआत हुई थी।
पुलिस के अनुसार जांच में पाया गया कि सीलमपुर और जाफराबाद के लिए अलग व्हाट्सएप ग्रुप था। दंगे के मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, इशरत जहां, आसिफ इकबाल तन्हा समेत 15 अन्य लोगों ने अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर हिंसा कराने का षड्यंत्र रचा। पुलिस ने कोर्ट में दावा किया कि आरोपों को साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
स्पेशल सेल ने अदालत को बताया है कि उत्तर पूर्व दिल्ली दंगा केस में दर्ज की गई लगभग सारी प्राथमिकी का गहराई से अध्ययन किया गया है और जांच में पाया गया कि किस तरह दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया। इसके लिए अलग अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए।
कहने के लिए तो CAA-NRC के खिलाफ प्रदर्शन के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए लेकिन करीब 25 प्रदर्शन स्थल से जुड़े लोग व्हाट्सएप ग्रुप में इस वजह से शामिल किए गए ताकि दंगे में उनका इस्तेमाल किया जा सके। स्पेशल सेल ने व्हाट्सएप चैट की फाइल भी बतौर सबूत कोर्ट में पेश की है और कहा है कि व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर हर ग्रुप को हिंसा कराने की अलग अलग जिम्मेदारी दी गई थी।
कोर्ट ने स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाहा से कहा कि व्हाट्सएप चैट दिखाएं जो सबूत के तौर पर पेश कर रहे हैं।स्पेशल सेल ने कोर्ट से कहा कि उनके पास हिंसा को कराने के सबूत के तौर पर व्हाट्सएप चैट, टेक्निकल एविडेंस और अन्य डॉक्यूमेंट्स भी हैं। पुलिस ने खुलासा किया कि व्हाट्सएप ग्रुप दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (DPSG) नाम से बनाया गया था। कोर्ट ने पूछा आपने फाइल में लिखा है ‘Various’ ग्रुप इसका मतलब क्या है। जिस पर स्पेशल सेल ने कहा कि कई अलग साजिशकर्ता थे, इसलिए यह लिखा गया जबकि प्रदर्शन आयोजित करने वाले अलग थे और प्रदर्शन करने वाले अलग।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये बड़ी साजिश है। डीसीपी प्रमोद कुशवाहा ने व्हाट्सएप चैट की फाइल भी बतौर सबूत कोर्ट को सौंप दी है और कहा कि व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर हर ग्रुप को हिंसा कराने की अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई थी। इनमें कुछ आदेश देने वाले लोग थे और कुछ आदेशों का पालन करने वाले थे।
चार्जशीट में दावा किया गया है कि आरोपियों ने सिस्टमैटिक तरीके से भीड़ को मोबलाइज किया। हफ्तों तक प्लानिंग कर हथियार, पत्थर और बाकी चीजें जुटाई गईं।
दूसरी तरफ पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि पुलिस रिमांड में दंगे के मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को भले ही अभी आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया है लेकिन उसका नाम पूरक आरोप पत्र में आएगा। उसको लेकर स्पेशल सेल ने खुलासा करते हुए दावा किया कि उमर खालिद के मोबाइल फोन से दंगों से संबंधित 40 जीबी डेटा मिले हैं। जिसमें दंगे भड़काने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक रिमांड में उमर खालिद ने कबूल किया है कि दंगे सुनियोजित थे। उसने दिल्ली दंगों की साजिश रचने में अहम भूमिका निभाई थी।
पुलिस का कहना है कि दंगों की साजिश बहुत सुनियोजित तरीके से रची गई थी। पुलिस ने उमर खालिद के मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट मंगा ली है और उसका विश्लेषण कर रही है। उमर खालिद के मोबाइल से 40 जीबी डेटा दंगों से संबंधित मिला है। उसका भी पुलिस विश्लेषण कर रही है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक खालिद ने पूछताछ में हामी भरी है कि वह ऐसी हालत पैदा करना चाहता था ताकि हिंदू और मुस्लिम लोगों में टकराव हो और दंगे भड़क जाएं। यह उमर खालिद का ही दिमाग था कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा धरना स्थलों पर एकत्रित किया जाए ताकि पुलिस बल का प्रयोग न करे।
जांच में ये भी पता लगा है कि उमर खालिद ने पूर्वी दिल्ली में कई धरना स्थलों पर भड़काऊ भाषण दिया था। उससे प्रदर्शनकारी उकसावे में आ गए थे। उमर खालिद कई व्हाट्स एप ग्रुप से भी जुड़ा हुआ था। वह ग्रुप के माध्यम से दंगों की भूमिका तैयार कर रहा था। उसने कई और खुलासे करते हुए दिल्ली पुलिस को महत्वपूर्ण सबूत दिए हैं जिसका पुलिस अभी खुलासा करना नहीं चाह रही है।
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