अर्चना कुमारी। सोमवार को मेरे भाई का जन्मदिन था, वह बहुत खुश था। मैं कथा वाचने के लिए गया था, इसलिए जिंदा बच गया। उत्तर प्रदेश के देवरिया में सत्य प्रकाश दुबे के बचे बेटे देवेश यह कहते-कहते तो पड़ा।
मृतक सत्य प्रकाश दुबे के बेटे को सोशल मीडिया पर संस्कार को लेकर चर्चा चल रही है और कहा जा रहा है ,जिसने उसके पूरा परिवार उजाड़ दिया। उसके लिए वो उन आरोपियों के नाम के आगे भी श्री लगा रहा है लेकिन फतेहपुर गांव में 6 लोगों की हत्या का के मामले में जिंदा बचे बेटे ने अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की और बताया जाता है की देवरिया में नरसंहार की इनसाइड स्टोरी यह है की जमीन के टुकड़े के लिए खून बहाया गया।
दरअसल, फतेहपूर लेड़हा के रहने वाले स्व. जर्नादन दुबे के तीन बेटे थे। इनमे सबसे बड़ा ओमप्रकाश दुबे, फिर सत्यप्रकाश दुबे और सबसे छोटा ज्ञान प्रकाश उर्फ साधु। बताया जाता है जर्नादन दुबे की मौत के बाद उनके हिस्से का 18 बिघा खेत और मकान तीनों बेटों में बंट गया।
साल 2008-2009 में सबसे बड़े बेटे ओम प्रकाश की मौत हो गई। बड़े भाई की मौत के बाद सत्यप्रकाश की अपने छोटे भाई ज्ञान प्रकाश से रिश्तों में खटास आ गई। इस बीच ज्ञान प्रकाश नौकरी करने गुजरात के सूरत चला गया। लेकिन ओम प्रकाश की मौत के बाद 18 बीघा की पूरी प्रॉपर्टी दोनों भाइयों में बंट गई। इसमें ज्ञान प्रकाश दुबे ने 2014 में मृतक प्रेम यादव को अपने हिस्से का 9 बीघा खेत बेच दिया। बाद में प्रेम यादव ही उस खेत को जोत रहे थे।
लेकिन, यह बात बड़े भाई सत्यप्रकाश को नागवार लगी। बताया जाता है साल 2016 में भी इसे लेकर कई बार दोनों पक्षों में विवाद हुआ था। तब से ये विवाद चल रहा था। इस दौरान सत्यप्रकाश ने इस मामले में कोर्ट केस कर दिया। एक साल पहले विवादित खेत की पुलिस और राजस्व टीम की मौजूदगी में पैमाइश भी हुई थी।
लेकिन दोनो पक्षों में तनाव बरकरार था। गांव के लोग बताते हैं कि छोटे भाई के प्रेम यादव को जमीन बेचने से पहले सत्यप्रकाश के भी प्रेम से अच्छे संबंध थे। लेकिन, जमीन विवाद के बाद दोनों में दूरियां बढ़ गईं।इस बीच प्रेम के ज्ञान प्रकाश के संबंध बढ़िया हो गए। ज्ञान प्रकाश गांव आने पर भी अपने घर नहीं आता था। बल्कि वह आरोपी परिवार प्रेम यादव के घर ही रहता था। यह बात सत्यप्रकाश और उनके परिवार को पसंद नहीं थी।
घटना के दिन प्रेम यादव सुबह बाइक से वह सत्यप्रकाश के घर पहुंचा था। दोनो पक्षों में गली गलौज हुआ और प्रेम को पीट कर हत्या कर दी गई । इसकी सूचना प्रेम के घर वालों को दी गई और प्रेम यादव के घर वालों ने जब सत्यप्रकाश के घर पर हमला किया तो उनका सबसे बड़ा बेटा देवेश घर पर नहीं था, इसलिए जिंदा बच गया। देवेश पूजा-पाठ कराता है। वह कर्मकांड कराने सुबह ही घर से निकल गया था। जबकि, सत्यप्रकाश की सबसे बड़ी बेटी की दो साल पहले शादी हो चुकी है।
घटना के वक्त बड़ी बेटी भी अपने ससुराल में थी। बाद में आरोपी प्रेम यादव के परिवार ने वहीं पीटकर सत्यप्रकाश तथा उसके परिजनों को मार डाला। फतेहपुर गांव के लेड़हा टोला में पहले कुल 20 घर है। लेकिन, बाद में बंटकर अब 55 घर हो गए। इस टोले की आबादी करीब 300 लोगों की है। जिनमें 80 फीसदी यादव जाति के लोग गांव में रहते हैं।
सत्यप्रकाश दुबे समेत तीन ब्राह्मण परिवार, एक कायस्थ और बाकी निषाद और अन्य जाति के लोग गांव में रहते हैं।सत्य प्रकाश का एक और बेटा अनमोल अभी जिंदगी और मौत के बीच अस्पताल में भर्ती है और मामले में प्रेम यादव के परिवार से कई लोग हिरासत में लिए गए है