अर्चना कुमारी। लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में लालू प्रसाद यादव के ठिकानों पर छापा मारा गया और उनका परिवार धनकुबेर निकला। जांच कार्रवाई के दौरान अब तक करीब 600 करोड़ रुपये की अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले हैं ,इनमें 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां शामिल हैं जबकि जांच में पाया गया है कि विभिन्न बेनामीदारों के जरिए 250 करोड़ रुपये के लेन-देन किए गए । प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर, पटना, मुंबई और रांची में 24 स्थानों पर तलाशी ली गई।
इस कार्रवाई के तहत इस दौरान 1 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी, 1900 अमेरिकी डॉलर समेत विदेशी मुद्रा, 540 ग्राम गोल्ड बुलियन और 1.5 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण (लगभग 1.25 करोड़ रुपये मूल्य) बरामद किए गए। दावा किया गया है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद और उनके रिश्तेदारों के ठिकानों पर इस वजह से कार्रवाई हुई क्योंकि लालू पर नौकरी के बदले जमीन घोटाले का आरोप है।
प्रवर्तन निदेशालय के इस कार्रवाई के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने विरोध जताया है और बदले की राजनीति करार दिया है। सूत्रों का दावा है कि रागिनी यादव समेत लालू की दोनों बेटियों के आवास से 70 लाख रुपये कैश और जेवर बरामद किए गए प्रवर्तन निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि तलाशी लेते समय सभी कानूनी औपचारिकताओं का पूरी तरह से पालन किया गया और तलाशी परिसर में मौजूद महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ उचित शिष्टाचार का व्यवहार किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि दिल्ली न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित D-1088 में चार मंजिला बंगला है, ये मैसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पंजीकृत है। जांच में पता चला कि इसका स्वामित्व तेजस्वी प्रसाद यादव और परिवार के पास है जबकि कार्रवाई के दौरान पता चला कि इस संपत्ति को मात्र 4 लाख रुपये में अधिग्रहित करना दिखाया गया था, जिसकी वर्तमान में मार्केट वैल्यू करीब 150 करोड़ रुपये है। छानबीन में पाया गया कि इस संपत्ति को खरीदने में बड़ी मात्रा में नकदी और अपराध से अर्जित आय का उपयोग किया गया।
दावा किया गया है कि इस संबंध में रत्न और आभूषण क्षेत्र में काम करने वाली मुंबई स्थित कुछ संस्थाओं का उपयोग अपराध की अवैध आय को खपाने के लिए किया गया जब किसका प्रयोग तेजस्वी यादव करते रहे हैं। ईडी ने परिवार के सदस्यों और बेनामीदारों के नाम पर रखे गए विभिन्न प्रॉपर्टी दस्तावेजों, सेल डीड, भूमि बैंक समेत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए । प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि अब तक की गई जांच से पता चला है कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार द्वारा रेलवे में नौकरी दिलाने के एवज में पटना और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख जगहों पर कई जमीनों का अवैध रूप से अधिग्रहण किया गया था और पता चला है कि इन जमीनों का वर्तमान बाजार मूल्य ₹ 200 करोड़ से ज्यादा है जबकि आगे खुलासा किया गया कि इस संबंध में इन जमीनों के लिए कई बेनामीदारों, फर्जी संस्थाओं और लाभकारी मालिकों की पहचान हुई।
प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि लालू यादव के परिवार द्वारा गरीब ग्रुप डी आवेदकों से भूमि के 4 पार्सल महज 7.5 लाख में अधिग्रहित किए गए और राबड़ी देवी द्वारा इस जमीन की डील पूर्व राजद विधायक सैयद अबू दोजाना से की और 3.5 करोड़ में भारी लाभ के साथ बेच दिए थे । पता चला है कि इस तरह मिली रकम का एक बड़ा हिस्सा तेजस्वी प्रसाद यादव के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। बताया जाता है कि इसी तरह से रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी के बदले कई गरीब माता-पिता और उम्मीदवारों से जमीनें ली गईं। जांच में यह भी आया है कि जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि कई रेलवे जोन में भर्ती किए गए उम्मीदवारों में 50 फीसदी से ज्यादा लालू यादव परिवार के विधानसभा क्षेत्रों से थे , यह मामला करीब 14 साल पहले का है और जब लालू यादव रेल मंत्री थे।
दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनकी जमीन लिखवा ली [तेजस्वी यादव ने कहा, “याद करिए- 2017 में भी कथित 8000 करोड़ का लेन-देन, हजारों करोड़ का मॉल, सैंकड़ों संपत्तियां, अभी चंद महीनों पहले गुरुग्राम में अरबों का WhiteLand कंपनी का UrbanCube मॉल भी मिला था। भाजपाई अब कथित 600 करोड़ का नया हिसाब लाने से पहले अपने सूत्रों को पुराने का तो हिसाब दे देते।” उन्होंने लिखा, “भाजपा सरकार द्वारा सूत्रों के हवाले से इधर-उधर की भ्रामक अफवाह फैलाने अथवा खबर प्लांट करवाने की बजाय रेड के बाद हस्ताक्षर किए जाने वाले पंचनामे की सूची ही सावर्जनिक कर देनी चाहिए। अगर हम इसे सार्वजनिक कर देंगे तो इन बेचारे नेताओं की क्या इज्जत रहेगी? सोच लो।”
[ सांसद मनोज झा ने केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधते हुए शनिवार को अकेले चुनाव लड़ने और अकेले सरकार बनाने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा इस तानाशाही की अति हो चुकी है।
केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, बड़ी अदभुत चीजें हो रही हैं, इस देश में पहले सीबीआई एक पुराना केस जो 2008-2010 में दो बार बंद हो गया था। उसको खुलवाया जाता है। उसके बाद फिर प्रवर्तन निदेशालय सुबह 4:00 बजे सुबह तक जिस घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं और क्रिटिकल स्टेज में, तेजस्वी की पत्नी गर्भवती है वहां जांच की जाती है। किसी को इन मानवीय संवेदना से कोई लेना-देना नहीं। बिहार में जो सरकार, बीजेपी के हाथ से निकल गई यहां उसका दर्द था और बदले की कार्रवाई थी।
उन्होंने कहा, बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का एक इंस्ट्रूमेंट की तरह इस्तेमाल कर रही है। मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि ये बंद किया जाए। थोक में तमाम विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया जाए, उन पर कार्रवाई की जाए और अकेले बीजेपी चुनाव लड़े अकेले सरकार बनाए और अपनी तानाशाही पर मुहर लगवाए।
उन्होंने कहा देश में यह तानाशाही नहीं चलेगी। इस तानाशाही के खिलाफ आक्रोश है। बिहार में लालू यादव व तेजस्वी ने अपने समर्थकों को रोक रखा है, यह कहा है कि आप कानून का पालन कीजिए। लेकिन बीजेपी ने तय कर लिया है कि वह राजनीतिक लड़ाई लड़ने में नाकामयाब है। इसलिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पहले साल 2017 में यह कहा गया कि मीसा भारती के घर से 8000 करोड बरामद हुए। उसके बाद गुडगांव में किसी अन्य व्यक्ति के मॉल को तेजस्वी यादव का मोल कहकर सूत्रों के हवाले से खबर चलाई गई। जो बाद में गलत साबित हुई। ये जो उत्पाती सूत्र है उन्हें पहले अपने कागजात दुरुस्त कर लेनी चाहिए। गलत साबित होने के बाद ये सूत्र कहां गायब हो जाते हैं।