कुछ जानने से पहले इस भव्य नजारे को देखिए और आनंद लीजिए। लेकिन भूल से यह नहीं सोच बैठिएगा कि यह हांगकांग, मलेशिया या सिंगापुर का नजारा है। यह मनमोहक नजारा ठेठ बनारस और गंगा का है। और यह क्रूज जिसका नाम ‘अलकनंदा’ है यह भी अपने देश का ही है। यह महज दिखाने के लिए या कलंडरों पर सजाने के लिए नहीं है, यह लोगों को अपने ऊपर बैठाकर बनारस के घाटों का नजारा दिखाने के लिए है। बस थोड़ा सब्र तो कर लीजिए। जी हां 15 अगस्त से यह क्रूज आपको गंगा में सैर कराने के साथ बनारस के घाटों का नजारा दिखाएगा। महज 750 रुपये में यह घाटों की सैर कराने के साथ ही गंगा की आरती भी दिखाएगा। यह कर दिखाया है मोदी सरकार में सबसे काबिल मंत्रियों में शुमार सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने।
मुख्य बिंदु
* कांग्रेस की नाकामी और मोदी सरकार की कामयावी की कहानी है गंगा में बना पहला राष्ट्रीय जलमार्ग
सिर्फ 750 रुपये में बनारस के घाटों की सैर कराने के साथ गंगा आरती दिखाने वाले इस क्रूज का नाम अलकनंदा है। यह क्रूज सारे सुख-सुविधाओं से लैस है। इसमें यात्रियों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है। आपात स्थित में यह क्रूज जीवनदायिनी साबित होगी। इसमें लाइफ जैकेट्स से लेकर लाइफ गार्ड्स तक की व्यवस्था की गई है। इसकी खिड़कियां इतनी बड़ी है कि सीट पर बैठे-बैठे बाहर के सारे नजारे देख सकेंगे। गंगा में गंदगी न जा पाए इसलिए इसमें बायो टॉयलेट की व्यवस्था की गई है। इस क्रूज़ के जरिए पर्यटकों को वाराणसी के इतिहास और महत्व के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
गंगा नदी पर बन रह 1620 किलोमीटर लंबा पहला राष्ट्रीय जलमार्ग
कोई भी परियोजना पूरी होती है तो वह अपनी पूरी कहानी लोगों को बताती है। देश की गंगा नदी में बनने वाला 1620 किमी लंबा पहला राष्ट्रीय जलमार्ग की कहानी भी नाकामियों और कामयाबी से भरी पड़ी है। इस पहले जलमार्ग बनाने की घोषणा 1986 में हुई थी, लेकिन उसे मूर्त रूप लेने में 32 साल लग गए। जानते हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन है? इसके लिए हम सब जिम्मेदार हैं। अगर हम निकम्मी और क्रियाशील सरकार में फर्क कर पाते, देश की जनता विकास के नाम पर सरकार चुनी होती तो यह राजमार्ग कब का बन चुका होता। लेकिन इतने सालों तक सरकारें बदलती रहीं और कांग्रेस की सरकार बनती रहीं। देश में बनती बिगड़ती सरकार की तरह ही यह योजना भी बनती और बिगड़ती रही लेकिन पूरी नहीं हो पाई। 2014 में जब केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी तो इस योजना को पूरा करने का संकल्प लिया गया। मोदी सरकार के उस संकल्प को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मूर्त रूप दे रहे हैं।
कांग्रेस सरकार की नाकामी की यह योजना एक जीता जागता उदाहरण है। इतनी महत्वपूर्ण योजना को कांग्रेस सरकार सालों से किस तरह टालती रही है यह इस बात का भी उदाहरण है कि एक अच्छी सरकार के चले जाने के बाद देश के विकास में कितनी बाधाएं आती हैं।
गंगा नदी पर बन रहे लगभग 1620 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय जलमार्ग का नाम “राष्ट्रीय जलमार्ग-1” है। इस परियोजना पर 5400 करोड़ रुपये की लागत आने वाली है। साल 2014 में सत्ता में आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस योजना को नमामि गंगे योजना के साथ मिशन मोड पर शुरू किया। मालूम हो कि साल 2014 में इलाहाबाद से हल्दिया तक बनने वाले राष्ट्रीय जलमार्ग -1 के लिए 42 सौ करोड़ रुपये बजट का प्रवाधान किया गया।
दो साल बाद 12 अगस्त 2016 को नितिन गडकरी जी ने वाराणसी में राजमार्ग टर्मिनल की आधारशिला रखी और दो जहाजों को हरी झंडी दिखाकर ट्रायल के रवाना किया। बाद में 3 जनवरी 2018 को दल्दिया और बनारस के बीच देश के पहले राष्ट्रीय जलमार्ग पर नौवह क्षमता के विस्तार के लिए जलमार्ग विकास परियोजना की शुरुआत की गई। पांच साल यानि 2023 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन नितिन गडकरी जी का इतिहास काम समय से पहले करने का है बाद में नहीं। उन्होंने अगर कहा है कि यह परियोजना पूरी हो जाएगी तो फिर हो ही जाएगी।
देश के पहले राष्ट्रीय जलमार्ग में इलाहाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, पटना, भागलपुर, फरक्का और कोलकाता जैसे शहर आएंगे। इस परियोजना के तहत ऐसी प्रणाली के तहत पुल या बैराज बनाए जाएंगे ताकि जहाज आते ही फाटक खुद खुल जाए। इस तरह की व्यवस्था अभी नीदरलैंड में काम कर भी रही है।
हल्दिया से इलाहाबाद तक पहले राष्ट्रीय जलमार्ग बनाने की परियोजना इतनी दूरदर्शी लगी कि विश्वबैंक ने इस पर ऋण देने की हामी भर दी। उन्होंने आईडब्लूआई से 37.5 करोड़ डॉलर का समझौता कराया है। इस परियाजना के साथ ही ढांचागत सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। इस परियोजना के तैयार होते ही 1.5 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड की कमी आ जाएगी।
1620 किलोमीटर राष्ट्री जलमार्ग के तहत उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, वाराणसी और गाजीपुर में तो वहीं बिहार के साहिबगंज तथा पश्चिम बंगाल में कटवा में मल्टी मॉडल टर्मिनल बनाए जा रहे हैं। इस मार्ग पर चलने वाले जहाज पानी में किसी प्रकार का न कोई कचरा छोड़ेगा न ही प्रदूषण फैलाएगा। यह बिल्कुल पर्यावरण के अनुकूल होगा। जलमार्ग परिवहन एवं माल ढुलाई का सबसे सस्ता माध्यम है इसके बाद भी कांग्रेस की सरकारें इतने दिनों तक इस परियोजना को लटकाती रही है।
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