अर्चना कुमारी। केंद्र और राज्य मिलकर भी मणिपुर हिंसा पर नकेल न कस पाई और अब मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने महीनों से जारी जातीय तनाव के लिए ड्रग माफिया और अवैध प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होने मौजूदा संकट के लिए राज्य की सीमाओं की सुरक्षा में पिछली सरकार की ‘विफलता’ को भी जिम्मेदार ठहराया।
ज्ञात हो मई से कुकी और मेइती समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के कारण लगभग 200 लोग मारे गए हैं और 60,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। थौबल जिले के लीलॉन्ग में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मौजूदा संघर्ष की साजिश ड्रग माफिया और अवैध प्रवासियों ने रची जो वास्तविक जनजातियों की आवाज को दबाते हैं।
लड़ाई मेइती और कुकी के बीच नहीं है, बल्कि सरकार और अवैध प्रवासियों के बीच है।’रोज मैं अपने कुकी दोस्तों से फोन पर बातचीत करता हूं। वे असहाय हैं और सच बोलने में असक्षम हैं क्योंकि उनको बंदूक के बल पर धमकाया जा रहा है।’पड़ोसी देश वर्मा में सेना और सैन्य शासन विरोधी समूहों के बीच जारी संघर्ष की वजह से वहां से छह हजार से अधिक प्रवासी कामजोंग जिले में दाखिल हुए हैं।
पुलिस टीम स्थिति की निगरानी के लिए भेजी गई है और उन्हें अस्थायी आश्रय देने के लिए बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित की जा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम चिन कुकी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन अवैध अप्रवासियों के विरोध में हैं। हम केवल बायोमेट्रिक आंकड़े एकत्र कर उन अवैध धड़ों की पहचान करना चाहते हैं और बाद में म्यांमा में स्थिति सुधरने पर उन्हें वापस भेजेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा, अगर मैंने अवैध प्रवासियों को रोकने पर जोर दिया तो क्या गलत है? क्या हम बाहरी लोगों के निरंतर आगमन और अंतत: मूल निवासियों के दमन के लिए सहमत होंगे.. राज्य के मूल समुदाय छोटे और अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं।’ पूर्ववर्ती सरकारों पर टिप्पणी करते कहा, मौजूदा संकट राज्य में कानूनों को ठीक से लागू करने में उनकी विफलता के कारण है। यदि उन्होंने लगभग 400 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगा दी होती, मुक्त आवाजाही व्यवस्था को रद्द कर दिया होता, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।