अर्चना कुमारी। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुनवाई हुई। इसके लिए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह कोर्ट पहुंचे। बताया जाता है पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ काफी नाराज हुए थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले आम आदमी पार्टी के पार्षद पूनम देवी नेहा मुसावट भाजपा में शामिल हो गए एवं गुरचरण काला की घर वापसी हुई। अब चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट 20 फरवरी को सुनवाई करेगा।
कोर्ट ने कहा कि चुनाव अधिकारी ने माना है कि उन्होंने बैलेट पेपर से छेड़छाड़ की थी। उनके खिलाफ केस चलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट बैलेट पेपर का खुद जांच करेगा। कोर्ट ने कहा इस चुनाव में हॉर्सट्रेडिंग यानी पार्षदों के दलबदल चिंता का विषय है। कोर्ट बैलेट पेपर और वीडियो देखने के बाद कोई आगे आदेश देगा।इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान गड़बड़ी का आरोप झेल रहे चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।
अनिल मसीह ने माना है कि उन्होंने बैलट पेपर पर मार्क लगाया है जबकि केवल साइन करने थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह दोषी पाए गए तो कार्रवाई होगी। चीफ जस्टिस ने हॉर्स ट्रेडिंग पर भी चिंता जताई है।ज्ञात हो चंडीगढ़ मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर रहे अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर पर निशान लगाना कबूल किया। अनिल मसीह के मुताबिक उसने 8 बैलेट पर X का निशान बनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार फिर से सुनवाई होगी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव फिर से नहीं होगा। पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।सनद रहे 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था और बीजेपी के पार्षद मनोज सोनकर को मेयर की गद्दी मिली थी। इसके बाद आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के गठबंधन ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को भी फटकार लगाई थी।
सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अनिल मसीह की वीडियो पर भड़क उठे थे। चीफ जस्टिस ने वीडियो देख कहा था कि यह लोकतंत्र का मजाक है, यह लोकतंत्र की हत्या है। ऐसे अधिकारी पर तो मुकदमा चलना चाहिए।उच्चतम न्यायालय ने ‘खरीद-फरोख्त होने का जिक्र करते हुए कहा है कि वह मंगलवार को चंडीगढ महापौर चुनाव के मतपत्रों और मतगणना के दिन की पूरी वीडियो-रिकॉर्डिंग का अवलोकन करेगा।
अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को रिकॉर्ड सुरक्षित रूप से दिल्ली लाने के लिए एक न्यायिक अधिकारी नियुक्त करने का भी निर्देश दिया। पांच फरवरी को सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने महापौर चुनाव कराने वाले निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह को फटकार लगाते हुए कहा था कि यह स्पष्ट है कि उन्होंने मतपत्रों को विकृत किया है और उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अदालत ने इसे ‘‘हत्या’’ के समान करार देते हुए ‘‘लोकतंत्र का मजाक’’ बताया था। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को चंडीगढ प्रशासन को उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायिक अधिकारी और रिकॉर्ड की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन्हें सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘हम दोपहर दो बजे खुद रिकॉर्ड देखेंगे।
’’ प्रधान न्यायाधीश ने महापौर चुनाव के मामले की सुनवाई मंगलवार के बजाय किसी और दिन किए जाने की अर्जी को खारिज करते हुए कहा, ‘‘खरीद-फरोख्त हो रही है।’’ शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुपालन में मसीह पीठ के समक्ष उपस्थित हुए और न्यायाधीशों ने कुछ मतपत्रों में कथित छेड़छाड़ के मामले में उनसे सवाल किये।
ज्ञात हो चंडीगढ महापौर चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन के खिलाफ बीजेपी जीत हासिल की थी। महापौर पद के लिए भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी के 12 के मुकाबले 16 वोट मिले। आठ वोट अवैध घोषित किए गए थे।