अर्चना कुमारी उच्चतम अदालत ने कहा है कि प्रथम दृष्टया, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत समन किए गए व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन का सम्मान करना और जवाब देना आवश्यक है।
मंगलवार को न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अगर ईडी द्वारा तलब किया जाता है तो पेश होना चाहिए और पीएमएलए के तहत कार्यवाही के अनुसार जरूरत पड़ने पर सबूत पेश करना चाहिए।
अदालत ने कहा, यह देखा गया है कि ईडी किसी भी व्यक्ति को समन भेज सकता है जो कानून के तहत कार्यवाही के दौरान सबूत पेश करने या उपस्थित होने के लिए जरूरी लगता है। अदालत ने पीएमएलए के प्रावधानों की जांच के बाद कहा,जिन लोगों को समन जारी किया गया है, उन्हें ईडी द्वारा उक्त समन का सम्मान और जवाब देना आवश्यक है।
कोर्ट ने बतायापीएमएलए की धारा 50 के तहत ईडी अधिकारियों के पास किसी भी व्यक्ति को तलब करने का अधिकार है जिसकी उपस्थिति को वह आवश्यक मानते हैं, चाहे वह सबूत दे या अधिनियम के तहत किसी भी जांच या कार्यवाही के दौरान कोई रिकॉर्ड प्रस्तुत करे।
इस प्रावधान पर शीर्ष अदालत द्वारा की गई टिप्पणियां दिल्ली शराब नीति मामले में कम से कम छह समन जारी होने के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ईडी के सामने पेश होने से इनकार करने की बहस के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना गया हैं।ज्ञात हो ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में शिकायत दर्ज कराई है।
अदालत ने सात फरवरी को केंद्रीय एजेंसी की शिकायत पर केजरीवाल को समन जारी किया था। इस तरह की टिप्पणी सुप्रीम अदालत ने कथित रेत खनन घोटाले की जांच के सिलसिले में तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को जारी समन पर रोक लगाने के मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
बता दे तमिलनाडु सरकार ने ईडी के समन को मद्रास उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी और उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने समन पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद इस अंतरिम आदेश को ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक हटा ली और जिला कलेक्टरों को जारी समन का पालन करते हुए ईडी के सामने पेश होने का आदेश दिया है।