
हवा-पानी से लेकर कोयला तक लूटने वाले मनमोहन सिंह को नोटबंदी लग रहा है व्यवस्थित लूट!
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के राज में करीब 12 से 15 लाख करोड़ का व्यवस्थित लूट हुआ। व्यवस्थित इस मायने में कि 1 लाख 76 हजार करोड़ के 2जी स्पेक्ट्रम लूट और 1 लाख 86 हजार करोड़ के कोयला खदान लूट पर बाद में आई सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी! सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह के जमाने में हुए 2जी व कोयला खदान आवंटन को पूरी तरह से रद्द कर यह स्पष्ट कर दिया कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार व्यवस्थित तरीके से सरकारी खजाने को लूटने में जुटी हुई थी।
यही नहीं, कॉमनवेल्थ गेम्स में 70 हजार करोड़ की लूट, अगस्ता हेलीकॉप्टर लूट, रक्षा खरीद लूट, रेलवे लूट, एंथ्रेक्स-देवास जैसे अनगिनत लूटों में कांग्रेस शासित मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार का साख गिरा था, तभी आम जनता ने 2014 में उसे पूरी तरह से समेट दिया! यही नहीं, स्वयं कोयला खदान आवंटन में मनमोहन सिंह तक के जेल में जाने की नौबत आ गई थी! आज वही मनमोहन सिंह राज्यसभा में कह रहे हैं कि ‘नोटबंदी कानूनन चलाई जा रही व्यवस्थित लूट है।’ जो खुद व्यवस्थित लूटपाट का सरगना हो, वह लूट की बात करे, देश ऐसे रोबोट पर कितना भरोसा करेगा?
सवाल उठता है कि डाके में फंसे एक गिरोह के सरदार की बातों पर जनता कितना भरोस करे? अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में तो इटली की अदालत में मनमोहन सिंह का नाम आ चुका है! ऐसे में एक ऐसे व्यक्ति पर जनता कितना भरोस करे, जो अपनी सोच से अधिक 10 जनपथ की सोच से संचालित होता रहा हो! जो प्रधानमंत्री रहते स्वयं विदेश में हो और उनके मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय को उनकी पार्टी का युवराज भरी प्रेस वार्ता में फाड़ कर उन्हें विदेश में अपमानित करने से भी नहीं चूकता हो! जिसे पाकिस्तान का प्रधानमंत्री जनाना कहता हो और जिस पर वह पावर ब्रोकर पत्रकार बरखा दत्त ठहाके लगाती हो, जिसके कहने पर उन्होंने 2जी लूटने के लिए राजा को मंत्री बनाया था।
उस राजनेता के बोलने की आखिर वैल्यू ही क्या है, जो खुद से तब तक एक लाइन न बोलता हो, जब तक कि 10 जनपथ से उनकी पूरी स्क्रिप्ट न फाइनल होती हो! उस व्यक्ति का क्या मूल्य, जो 10 साल तक प्रधानमंत्री बनने के बावजूद कभी जनता की अदालत से विजेता बनकर नहीं निकला हो! चोर दरवाजे से संसद पहुंचने वाले ने हमेशा चोरों का साथ दिया और आज विपक्ष में बैठकर भी चोरों का ही साथ दे रहे हैं!
आज एक बार फिर से मनमोहन सिंह ने अपना मुंह खोलकर यह साबित कर दिया है कि वह न केवल दस साल तक चोरों के गिरोह के सरगना थे, बल्कि आज भी कालेधन के कारण बिलबिला रही कांग्रेस, केजरीवाल, ममता बनर्जी, मुलायम सिंह, मायावती जैसों के सरगना की भूमिका निभाने के लिए तैयार बैठे हैं! मैं अन्यों की तरह मनमोहन सिंह को ईमानदार बिल्कुल नहीं मानता! क्योंकि कोलगेट में उनके हस्ताक्षर से बिड़ला ग्रुप ने भ्रष्टाचार किया था, जिस कारण मनमोहन सिंह के जेल जाने तक की नौबत आ गई थी और अगस्ता वेस्टलैंड में सोनिया गांधी और अहमद पटेल सहित उनका नाम भी आया था!
हां, कह सकता हूं, मनमोहन सिंह ने अपने लिए नहीं, अपनी मालिकन और उसके बच्चे के लिए चोरी को प्रश्रय दिया था और आज भी अपनी मालकिन व उनके मंदबुद्धिबच्चे की खातिर कालेधन के राजनीतिक सरगनाओं के पक्ष में रोबोट की भांति बोल रहे हैं! मनमोहन सिंह मनुष्य नहीं, एक चलते-फिरते रोबोट हैं! इनकी बातों का उतना ही वैल्यू है, जितना की रिमोट से चलने वाले एक खिलौने का होता है!
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