विपुल रेगे। 2023 का सितंबर एक विशेष घटना के लिए याद किया जाएगा। मेक्सिको की सरकार ने 12 सितंबर को आधिकारिक रुप से एलियंस होने की पुष्टि संसार के सामने कर दी। संभवतः मानव इतिहास में ये पहली बार हुआ है, जब दूसरे ग्रह के प्राणियों का अस्तित्व होने की बात उनके प्रमाण देकर स्वीकारी गई है। मेक्सिको के इस खुलासे के बाद अमेरिका भौंचक है और अब उसकी कोशिश है कि इसे फेक बताकर मामले को रफादफा किया जाए। ऐसा वह कई वर्ष पहले के चर्चित ‘रोज़वेल यूएफओ क्रेश’ को झुठलाकर कर चुका है।
लैटिन अमेरिकी देश मेक्सिको की संसद में एलियन के शवों के फॉसिल्स या ममी संसार के सामने प्रदर्शित करना एक बहुत असामान्य घटना है। दुनियाभर में यूएफओ पर वर्षों से खोज कर रहे यूएफओलॉजिस्ट्स के लिए ये स्वीकारोक्ति अत्यंत आश्चर्यजनक है। ये समुदाय तो विश्व सरकारों के रवैये से परेशान हो चुका था। एलियन की इन लाशों का आधिकारिक अनावरण यूएफओ विशेषज्ञ जैमी मौसान ने किया। सत्तर वर्षीय जैमी को एक यूएफओलॉजिस्ट कहा जाता है। प्रदर्शित किये गए एलियन शव लगभग एक हज़ार वर्ष पुराने हैं और ये एक खान के अंदर पाए गए थे।
रेडियोकार्बन डेटिंग के आधार पर इन शवों के डीएनए साक्ष्य प्राप्त किये गए हैं। सन 2017 में खोजे गए इन शवों में एक ‘गर्भवती’ है। एक्सरे में ये पाया गया कि एक शव के पेट में अण्डानुमा संरचना पाई गई है। इसके आधार पर ये अनुमान लगाया गया है। तीन उँगलियों वाले इन शवों के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया है कि इनका डीएनए पृथ्वी के किसी प्राणी से मेल नहीं खाता है। इस खुलासे के बाद ‘नासा’ ने अपनी भौहें टेढ़ी कर ली है। नासा ने इन शवों के नमूने वैज्ञानिकों के विश्व समुदाय को उपलब्ध कराने की मांग की है। पश्चिमी मीडिया ने भी मेक्सिको के इस दावे पर संदेह जताकर अपने हमले शुरु कर दिए हैं।
सन 1947 में अमेरिका के रोज़वेल में एक यूएफओ भयानक ढंग से क्रेश हुआ था। उस रात मीडिया ने रिपोर्टिंग कर सुबह के अख़बार में इस वस्तु के यूएफओ होने की बात लिख दी। इसके चौबीस घंटे बाद ही अखबारों ने भूल सुधार करते हुए लिखा कि वह तो एक ‘मौसमी गुब्बारा’ था। तबसे लेकर अब तक नासा ने जाने कितने इवेंट्स को फेक बताकर संसार को भ्रमित किया है। इसी खबर पर आदित्य सत्संगी के चैनल ‘sattology’ पर एक उपयोगी चर्चा की गई। Come Carpentier ने इस विषय को लेकर आदित्य सत्संगी को जवाब दिए। Come Carpentier एक लेखक हैं और इस विषय पर उनका अच्छा शोध है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं इन शवों के एक्सरे देख चुके हैं और मानते हैं कि ये प्राणी मानवों से पूरी तरह भिन्न हैं।
सन 2003 में दक्षिणी अमेरिका के अटाकामा रेगिस्तान में ऐसा ही एक शव पाया गया था, जो लम्बाई में बहुत छोटा था। प्रोफेसर गैरी नोलान ने इस शव का परीक्षण किया था। माना जाता है कि ये एक भ्रूण का शव था, जो किसी एलियन द्वारा मानव गर्भ में विकसित किया जा रहा था। इसकी लम्बाई मात्र 15 सेमी बताई गई थी। ऐसी सैकड़ों कहानियां हवा में तैर रही हैं लेकिन सबका एक ही जवाब होता है कि ये फेक है। भारत में भी यूएफओ दिखने का लंबा इतिहास है। सन 1951 से लेकर अब तक भारत में इन्हे कई बार देखा जा चुका है। संभव है कि रोज़वेल की तरह ही विश्व समुदाय मेक्सिको के बौने एलियंस को झूठा करार दे दे। लेकिन इससे सत्य छुपेगा नहीं।
आज इंटरनेट पर यूएफओ से संबंधित हज़ारों वीडियो वायरल हैं। इनमे से चंद वास्तविक हैं। दरअसल इन्हे पकड़ना बहुत मुश्किल होता है लेकिन फिर भी कुछ वीडियोज और फोटोग्राफ्स में भी ये दिखाई देते हैं। पृथ्वी पर इनके आने की संभावना हज़ारों वर्ष पहले की बताई जाती है। अब देखना ये है कि मेक्सिको नासा को नमूने उपलब्ध कराता है या नहीं। वैसे आशंका इस बात की अधिक है कि इस मामले को जल्द से जल्द दबा दिया जाएगा।