अर्चना कुमारी। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जेएनयू और दिल्ली आईआईटी के 35 प्रोफेसर से 11 करोड़ रुपये की ठगी के आरोप में जेएनयू के पूर्व वैज्ञानिक अधिकारी (सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट) को गिरफ्तार किया । आरोपी की पहचान सेक्टर-37डी, रामप्रस्थ सिटी, गुरुग्राम, हरियाणा निवासी पीडी गायकवाड़ (63) के रूप में हुई है।
पुलिस का दावा है, पूर्व वैज्ञानिक अधिकारी ने नजफगढ़ में विकसित की जाने वाली एक हाउसिंग सोसायटी के नाम जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसर को कम कीमत में बढि़या मकान दिलवाने का झांसा दिया। इसने ‘नोबल सोशियो साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन’ (एनएसएसडब्ल्यूओ) नामक संगठन का गठन कर डीडीए की लैंड पुलिंंग नीति के तहत जमीन लेने की बात की।
बाद में लोगों का विश्वास जीतकर आरोपी वर्ष 2011 से 2021 के बीच रकम ऐंठता रहा। छानबीन में जब पता चला कि डीडीए ने ऐसी किसी भी परियोजना की मंजूरी नहीं दी है तो 13 प्रोफेसर ने दिल्ली पुलिस से शिकायत की। जांच के बाद मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि वर्ष 2022 में उनकी टीम को जेएनयू और आईआईटी दिल्ली के 13 प्रोफेसर ने एक शिकायत दी थी। अपनी शिकायत में इन लोगों ने बताया कि जेएनयू के ‘स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंसेज’ में तैनात वैज्ञानिक अधिकारी पीडी गायकवाड ने इनके साथ ठगी की है।
पीड़ितों के मुताबिक आरोपी ने ‘नोबल सोशियो साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन’ (एनएसएसडब्ल्यूओ) नामक संगठन का गठन कर खुद को उसका अध्यक्ष बताकर प्रोफेसर से सोसायटी में जुड़ने के लिए कहा। आरोपी ने बताया कि उनका संगठन लैंड पुलिंग नीति के तहत एल-जोन, नजफगढ़ में भूमि खरीदने की प्रक्रिया में है।आरोपी ने आवाज योजना के लिए पीड़िता का विश्वास जीतने के लिए उनको आकर्षक ब्रोशर-पैंफलेट दिखाए, चूंकि पीडी गायकवाड एक सरकारी पद पर तैनात था। इसकी वजह से प्रोफेसर ने उसकी योजना पर यकीन कर संगठन की सदस्यता लेकर रकम निवेश कर दी। आरोपी ने धीरे-धीर 35 प्रोफेसर से करीब 11 करोड़ की रकम ऐंठ ली।
बाद में पीड़ितों को पता चला कि डीडीयू ने इस तरह की किसी लैंड पुलिंग नीति को मंजूरी नहीं दी है। इस बीच वर्ष 2019 में आरोपी ने पीड़ितों को एक ईंमल भेजकर बताया कि दिल्ली सरकार के माध्यम से ‘सिद्धार्थ ऑफिसर्स हाउसिंग एंड सोशल वेलफेयर सोसयटी’ के नाम से एक अलग सोसायटी लॉन्च की जा रही है।
इसके लिए एनएसएसडब्ल्यूओ के सदस्य पीडी गायकवाड के जेएनयू स्थित कार्यालय में आकर अपनी सदस्यता बदल सकते हैं। बाद में सभी सदस्यों ने इसके लिए इंकार कर दिया और वह अपने रुपये वापस मांगने लगे। आरोपी ने न कोई रकम लौटाई और न ही उसने कोई मकान ही उपलब्ध करवाया।
शिकायतकर्ताओं ने पुलिस को पीडी गायकवाड द्वारा उपलब्ध किराए गए ब्रोशर-पैंफलेट, पैसों की रसीद व दूसरे दस्तावेज उपलब्ध करवाए। इसके अलावा ईमेल की कॉपी भी उपलब्ध कराई गई।
आरोपी ने एनएसएसडब्ल्यूओा की एक वेबसाइट भी बनवाई। हाउसिंग स्कीम के लिए आरोपी ने कई प्रजेंटेशन देकर प्रोफेसरों को अपने जाल में फंसाया। जांच के दौरान पुलिस की टीम ने डीडीए से भी हाउसिंग स्कीम के बारे में पूछा। डीडीए के इंकार के बाद आरोपी की तलाश शुरू की। लेकिन वह अपने घर से गायब मिला।
काफी मशक्क्त के बाद टीम ने आरोपी को 14 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपना अपराध कबूल कर लिया। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर ठगी की रकम बरामद करने का प्रयास कर रही है। आरोपी ने ठगी की रकम को या तो दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया या एटीएम से कैश निकाल लिया।आरोपी पीडी गायकवाड मूलरूप से महाराष्ट्र के नागपुर का रहने वाला है।
इसने नागपुर के कॉलेज से बीएससी-एमएससी की थी। इसके बाद इसने दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में नौकरी शुरू की। 2010 में इसे हाउसिंग सोसायटी से रकम ठगने के बारे में पता चला। आरोपी ने वर्ष 2011 में ‘नोबल सोशियो साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन’ (एनएसएसडब्ल्यूओ) नाम से संगठन का गठन किया।
बाद में कम कीमत में मकान दिलवाने का झांसा देकर ठगी की। पुलिस इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आरोपी के साथ वारदात में और कौन-कौन शामिल थे।लेकिन कोई अन्य अभी नहीं पकड़ा गया है।