अर्चना कुमारी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजतक के चेयरमैन अरुण पुरी के खिलाफ पूर्व जिला जज द्वारा दायर मानहानि का मामला खारिज कर दिया।
यह मामला उत्तर प्रदेश के पूर्व जिला जज द्वारा नाबालिग से रेप मामले में यूपी के तत्कालीन मंत्री गायत्री प्रजापति को जमानत अनुदान देने के संबंध में प्रकाशित 2017 के लेख से संबंधित दायर किया गया था।
ज्ञात हो मानहानि की शिकायत नवंबर 2017 में राजेंद्र सिंह (पूर्व जिला न्यायाधीश, लखनऊ) द्वारा दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि टीवी टुडे नेटवर्क ने अपमानजनक समाचार प्रकाशित किया कि प्रजापति को जमानत देना एक गहरी साजिश का हिस्सा है। आरोप लगाया गया कि संबंधित समाचार ने उनकी छवि को धूमिल किया, क्योंकि इसमें उल्लेख किया गया था कि लखनऊ के तत्कालीन जिला जज (शिकायतकर्ता) कथित तौर पर संवेदनशील पास्को मामले में विचार बदलने के लिए न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्रा को तैनात करके अनियमित प्रथाओं में लगे हुए थे।
इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने कहा,संबंधित समाचार में सुझाव दिया गया कि न्यायाधीश मिश्रा को इस पद पर बिठाए जाने के बाद उन्होंने गायत्री प्रजापति को जमानत दे दी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में अनौचित्य का संकेत मिलता है। अन्य कई तरह के आरोप लगाए गए लेकिन जस्टिस राजीव सिंह की पीठ ने मामले के तथ्यों, आवेदकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों, कथित अपमानजनक समाचार की सामग्री के साथ-साथ एससी कॉलेजियम और हाईकोर्ट के बीच विशेषाधिकार प्राप्त संचार को ध्यान में रखते हुए इस सवाल पर विचार-विमर्श किया। क्या आवेदकों एवं अन्य व्यक्तियों द्वारा किसी साजिश के तहत कोई मानहानिकारक कार्य किया गया।
न्यायालय ने जवाहरलाल दादरा और अन्य बनाम मनोहरराव गणपतराव कापसीकर एवं अन्य (1998) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें यह माना गया कि अच्छे विश्वास में प्रकाशित सटीक और सच्ची रिपोर्टिंग के मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी ने शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का इरादा किया था।
कुल मिलाकर हाईकोर्ट का विचार था कि विचाराधीन शिकायत कानूनी प्रावधानों के सरासर दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है और जैसा कि आरोप लगाया गया, कोई अपराध नहीं बनाया जा सकता।इसलिए मानहानि खारिज किया जाता है।