अर्चना कुमारी। देवभूमि की धरती को सलाम है, जिसने देश की रक्षा के लिए कई जवान देश को अर्पित किए। इनमें देवभूमि उत्तराखण्ड के साथ अजीब सा इतेफाक रहा क्योंकि इस राज्य के दो सैन्य अफसर आर्मी चीफ बने और दोनो का अपने सेवाकाल में ही आकस्मिक निधन हुआ। संयोग देखिए दोनो का नाम विपिन ही रहा। इनमें से जनरल विपिन चन्द्र जोशी का सेना प्रमुख रहते हुए 18 नवंबर 1994 को दिल्ली मिलिट्री हॉस्पिटल में आकस्मिक निधन हो गया जबकि उनका सेवाकाल 1 वर्ष से ज्यादा बचा था तब उनकी उम्र 58 वर्ष थी।
अब विपिन रावत भी अपना cds का कार्यकाल शेष रहते 63 वर्ष की आयु में दुर्घटना का शिकार हो गए। विपिन रावत का अंतिम संस्कार संभावना है कि शुक्रवार को दिल्ली छावनी में किया जाएगा। अंतिम सम्मान देने के लिए शवों को उनके घर में सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक रखा जाएगा। बताया जाता है कि अंतिम यात्रा कामराज मार्ग से शुरू होकर बराड़ स्क्वायर श्मशान घाट तक जाएगी।
उनके परिवार में अब जनरल बिपिन रावत की दोनों बेटियों के कंधे पर एक बड़ा भार है क्योंकि एक तरफ पिता को कंधा देना है तो दूसरी ओर से मां का अंतिम संस्कार करना है। जनरल बिपिन रावत और मधुलिका रावत की दो बेटियां हैं। कीर्तिका और तारिणी । कीर्तिका बड़ी बेटी हैं और उनकी शादी हो चुकी है, वो मुंबई में रहती हैं जबकि तारिणी छोटी बेटी है और वह दिल्ली में रहती हैं और दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं।
सूत्रों का कहना है हादसे में जान गंवाने वाले के प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत क्रैश के बाद भी जिंदा थे। हादसे के बाद Mi-17V5 के मलबे से निकाले जाने पर उन्होंने हिंदी में अपना नाम बताया था। यह जानकारी बचाव दल के एक सदस्य ने दी। जनरल रावत के साथ एक अन्य सवार को भी निकाला गया था। बाद में उनकी पहचान ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के रूप में हुई। ग्रुप कैप्टन हादसे में जिंदा बचे एकमात्र व्यक्ति है। उनका अभी इलाज चल रहा है।