संदीप देव । विरासत की संपत्ति पर बहुत विवाद हो रहा है। कोई कह रहा है कि कांग्रेस जनता की संपत्ति छीनना चाहती है, तो कोई कह रहा है कि भाजपा संपत्ति छीनना चाहती है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच कल यह बयान भारत के वर्तमान अटर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी का है, जो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच के समक्ष दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि “निजी रूप से कमाई हुई संपत्ति, समुदाय की है!” और यह कल अर्थात 25 april 2024 को भारत सरकार का औपचारिक बयान है, जो कल सुप्रीम कोर्ट में दर्ज हो चुका है और आज अखबारों में छपा है।
भारत सरकार के अटर्नी जनरल के इस कुतर्क पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.चंद्रचूड़ ने कहा, “ मैं अपनी आय का उपयोग करके एक घर बनाता हूं, क्या यह समुदाय का भौतिक संसाधन है? मेरे पास एक कार है, क्या यह समुदाय का भौतिक संसाधन है? क्या निजी संपत्ति की कोई अवधारणा नहीं है?”
भारत सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने कहा कि “भौतिक दुनिया में सभी चीजें जो मानव संपर्क या जुड़ाव द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं, समुदाय की है।”
एजी ने आगे कहा, “एक बार जब संसाधन राज्य के हाथों में आ जाते हैं, तो स्वामित्व और नियंत्रण के मुद्दों के बारे में कोई और सवाल मायने नहीं रखेगा।”
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, “क्या निजी श्रम के द्वारा बनाई गई हर चीज समुदाय की भौतिक संसाधन है”?
एजी ने जवाब दिया “यदि यह निजी संपत्ति उपभोग की सीमा अधिक है, तो समुदाय का संसाधन पर अधिकार बनता है।” अब सवाल है कि यह उपभोग की सीमा कौन तय करेगा? निश्चित तौर पर सरकार ही तय करेगी।
खंडपीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने यह कहते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की कि “यह कल्पना करना कठिन है कि जो भी मानव संसाधन उत्पादित करता है वह समुदाय का संसाधन है।”
इस पर एजी ने जवाब दिया, “हम सभी लेन-देन और अंतर-संबंधों में रहते हैं। हम जो धन सृजित करते हैं, जो मूल्य हम सृजित करते हैं वह सब एक समुदाय में बातचीत और गतिविधियों से होता है।”
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा “क्या निगमों द्वारा बनाए गए संसाधन, जैसे सेमीकंडक्टर चिप्स या मोबाइल फोन, समुदाय के संसाधन हैं?” एजी ने कहा, ‘हां।’
एजी ने प्रस्तुत किया कि “प्रकृति में उपलब्ध संसाधन और मानव संपर्क द्वारा बनाए गए संसाधन दोनों उपयोगिता, मूल्य और मानवीय उद्देश्यों के लिए प्रासंगिक हैं, जो अनुच्छेद 39 (बी) में स्वामित्व और नियंत्रण को ध्यान में रखता है”।
यह सुनवाई दायर उन याचिकाओं पर आधारित है, जिसमें यह कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) और 31 (सी) की आड़ में निजी संपत्तियों को राज्य द्वारा नहीं हड़पा जा सकता है।
बेंच कम से कम 16 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें दायर मुख्य याचिका 1992 की है। 20 फरवरी, 2002 को नौ-न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने से पहले उन्हें तीन बार पांच और सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठों के पास भेजा गया था।
इसी पर वर्तमान केंद्र सरकार की ओर से औपचारिक बयान एजी ने रखा है, जिसे पढ़कर स्पष्ट है कि यह सरकार अपने तीसरे टर्म में कम्युनिज्म की ओर बढ़ना चाहती है। ज्ञात हो कि कम्युनिज्म में निजी संपत्ति की अवधारणा नहीं होती! धन्यवाद।
SandeepDeo
मूल लिंक: Do resources of individuals belong to community, asks Supreme Court