केंद्र सरकार विदेशी अंशदान ( नियमन ) कानून ( FCRA ) में परिवर्तन करने की तैयारी में है. इसके लिये रविवार को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम संशोधन विधेयक (foreign contribution Regulation Act) 2020 को पेश किया.
मसौदा विधेयक यानि ड्राफ्ट बिल के अनुसार विदेशी फंडिंग लेने के लिये अब आधार कार्ड अनिवार्य हो जायेगा. सरकारी कर्मचारियों और सरकार के स्वामित्व और नियंत्रण वाली निगमों को विदेशी धन प्राप्त करने पर पांबदी होगी.इस विधेयक के जरिये सरकार को यह अधिकार मिलेगा की वह घरेलू गैर सरकारी संगठन द्वारा विदेशी फंड के इस्तेमाल पर रोक लगा सकती है. गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विदेशी धन के गलत इस्तेमाल करने की शिकायत मिलने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
ड्राफ्ट विधेयक के अनुसार एफसीआरए अनुमोदन प्राप्त करने वाले संगठनों के पदाधिकारियों के लिए अपने आधार कार्ड की पूरी जानकारी देना अब अनिवार्य होगा. सरकारी अधिकारी और सरकार के स्वामित्व वाले निगम इस धन को प्राप्त नहीं कर पायेंगे. इससे पहले केवल विधायकों, पत्रकारों, न्यायाधीशों और चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को विदेशी फंड लेने की अनुमति नहीं थी.
मसौदा विधेयक यानि ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि एफसीआरए के तहत आने वाले संगठनों को कुल विदेशी फंड का 20 फीसदी से ज़्यादा प्रशासनिक खर्च में इस्तेमाल नहींनहीं करना चाहिये. वर्तमान समय में यह सीमा 50 प्रतिशत है.
इस बिल का उद्देश्य गैर-सरकारी संगठनों में चल रही अंधाधुंध विदेशी फंडिंग पर अंकुश लगाना है. वर्तमान समय में इन संगठनों में पता नहीं कहां कहां से विदेशी फंडींग आती है जिसमे क्रिश्चियन मिशनरियों की भी फंडिंग रहती है. तो इस प्रकार से कई गैर सरकारी संस्थान समाज सेवा की आड़ में धर्मांतरण से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. तो इस नये विधेयक से, यदि यह कानून बन गया तो, इस प्रकार की गतिविधियों पर कुछ रोकथाम लगने की उम्मीद है.
यह नया विधेयक विदेशी फंडिंग के सोर्सिज़ को लेकर पारदर्शिता को बढायेगा और एसे एन्जीओज़ को बढावा देगा जो वास्तविकता में कुछ समाज सेवा का कार्य कर रहे हैं. ऐसे एन जी ओ जो समाज सेवा की आड़ में विदेशी फंडिंग हासिल कर कोई सुनियोजित एजेंडा चला रहे हैं, उनकी दाल गलने से यह कानून रोकेगा.
विदेशी अंशदान (योगदान) विधेयक, 2010 को लोगों या एसोसिएशन या कंपनियों के विदेशी चंदे के इस्तेमाल को नियमित करने के लिए लागू किया गया था. इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि के लिए विदेशी चंदा लेने या इस्तेमाल पर पाबंदी है. मसौदे में कहा गया है कि ये कानून 1 मई 2011 को लागू हुआ था. दो बार इसमें संशोधन हो चुका है. वित्त कानून की धारा-236 के जरिये पहला संशोधन हुआ. इसके बाद वित्त कानून, 2018 की धारा-220 के जरिये दूसरा संशोधन किया गया था.