संसद टीवी से स्वयं के द्वारा ही नियुक्त राष्ट्रवादी विचारधारा के पत्रकारों को हटाकर अब कांग्रेसी पत्रकारों को भरा गया है। राष्ट्रवादी पत्रकारों को भाजपा की सरकार में भगवा, संघी कह कर हटाया गया है।
और हां ‘डरे हुए मुसलमान’ हामिद अंसारी के गुर्गे गुरदीप सप्पल का आज भी संसद टीवी पर कब्जा बरकरार है! गुरदीप कांग्रेस का प्रवक्ता है, और चला संसद टीवी को रहा है! वह नौकरी में न रहते हुए भी अपनी पसंद का पत्रकार संसद टीवी में भरवाता और प्रमोशन दिलवाता जा रहा है।
सरकारी हिंदू – संदीप जी आप अधीर हो रहे हैं। अभी 8 ही साल हुआ है 70 साल की बीमारी है, दूर होने में समय लगेगा।
एक सवाल? एक सरकारी टीवी चैनल में पिछले आठ साल में संघी विचारधारा के भर्ती पत्रकारों को हटाने में केवल कुछ महीने लगे तो कांग्रेसी पत्रकारों को हटाने के लिए 70 साल क्यों चाहिए?
तथ्य और तर्क से हीन सरकारी हिंदू अब गाली-गलौच और कुतर्क करेंगे। यही गुलामी की निशानी है!
असल में 70 साल में जो गुलामों की फौज कांग्रेस ने तैयार की थी, वो यहां 8 साल में ही तैयार हो गई है! इसीलिए ये ‘सरकारी हिंदू’ अधीर नहीं हैं, बल्कि किसी न किसी रूप में सत्ता के लाभार्थी हैं इसलिए अपने लाभ को बचाए रखने के लिए हिंदुओं को भेड़ बनाकर रखना चाहते हैं। पहले इनके बाप-दादा कांग्रेसी लाभार्थी थे, अब ये भाजपा के लाभार्थी हैं। स्वतंत्र चेतना और सोच से ‘सरकारी हिंदुओं’ का कोई वास्ता नहीं है। हर सत्ता से इन्हें बस प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ कमाना है और इसके लिए हिंदुओं को गुमराह रखना है!
बता दूं कि अंग्रेज जमाने के रायबहादुर व रियासत के मालिक भी ‘सरकारी हिंदू’ की श्रेणी में ही आते थे। 1857 की क्रांति उन्हीं ‘सरकारी हिंदुओं’ के कारण विफल हुई। विश्वास न हो तो वीर सावरकर की 1857 पढ़ लो!
संसद टीवी में भर्ती के खेल का लिंक खोलकर पढ़ लो ‘सरकारी हिंदुओं’!
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