लद्दाख बार्डर पर भारत और चीन के बीच जो लगातार तनाव बना हुआ है, उसे कुछ कम करने के लिये आज भारत-चीन कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता होने जा रही है. भारत-चीन के बीच इस प्रकार की वार्ता के दौरान पहली बार विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होंगे.
बैठ्क में भारतीय पक्ष का नेतृत्व 14 कोर के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे और चीनी पक्ष का प्रतिनिधित्व पीएलए मेजर जनरल लिन लियू द्वारा किया जायेगा.
भारतीय प्रतिनिधिमंडल की तरफ से विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव व मेजर जनरल अभिजीत बापट और मेजर जनरल पदम शेखावत भी शामिल होंगे. भारत तिब्बत पुलिस के महानिरीक्षक दीपम सेठ भी इस वार्ता में सम्मिलित होंगे.
इस बैठक का उद्देश्य मास्को में भारत और चीन के बीच निर्धारित हुए पांच सूत्रीय एजेंडे को कार्यांवित करवाना या लागू करवाना है. और इसीलिये कमांडर लेवेल की इस बातचीत में राजनयिक और आर्मी हेड्क्वाटर के सीनियर अफसर भी शामिल हो रहे हैं. यह इस बैठक के लिये बहुत फायदे की बात है क्योंकि जब विदेश मंत्रालय के अफसर भी इसमे शामिल होंगे तो पांच सूत्रीय एंजेडे को कार्यांवित करने के लक्ष्य में मदद मिलेगी.
हालांकि पांच सूत्रीय एजेंडे के बाद भी चीन के जो तेवर रहे हैं, उसस दोनों देशों के बीच इस समय तो शांति के आसार कम ही दिखते हैं. चीन की कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहता है. वह विदेश मंत्रालय स्तर पर तो स्वयं को थोड़ा मांडरेट दिखाता है लेकिन फिर अचानक तेवर बदल लेता है और जब विश्व के सामने अपनी बात रखता है तो अपनी गलती मानने के बजाय भारत को गलत साबित करने की कोशिश करता है.
चीन पर विश्वास नहीं किया जा सकता. उसकी अस्थिरता ही हमेशा उसकी मोड्स आंपरेंडी रही है. वह हर दूसरे दिन अपनी बात बदलता रहता है ताकि सामने वाला ह्मेशा सोच विचार में ही लगा रहे कि आखिर चीन का अगला कदम होगा क्या.
लोक सभा और राज्य सभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण के बाद चीनी मीडिया ने जिस आक्रामकता से भारतीय सेना और भारत सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास किया था, यहां तक कि यह कहकर कि भारत में अधिकतर सैनिक नीची जाति के होते हैं, इसीलिये सरकार को उनके मरने की परवाह नहीं है, डिवाइसिव एजेंडा भी खेला था, यह सब देखकर तो नहीं लगता कि चीन के तेवर में जल्दी किसी सुधार की उम्मीद की जा सकती है.