अर्चना कुमारी। मुक बधिर लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित करने के आरोपी इरफान शेख की ज़मानत अर्जी का यूपी सरकार ने विरोध किया । बताया जाता है कि आरोपी इरफान शेख नई दिल्ली में सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र में दुभाषिया के तौर पर काम करता था। उस पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और यूपी के धर्मान्तरण विरोधी क़ानून के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट से ज़मानत अर्जी खारिज होने के बाद इरफान शेख ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बाकी है । बताया जाता है कि इरफान शेख की ज़मानत अर्जी जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने लगी।यूपी सरकार की ओर से पेश ASG के एम नटराज ने कहा कि इरफान ने दुभाषिया के रूप में काम करते हुए अपने सरकारी पद का दुरुपयोग किया। सुनने और बोलने में अक्षम 450 से ज़्यादा दिव्यांग लोगों को उसने इस्लाम में धर्मांतरित किया। धर्मान्तरण का ये पूरा सिंडिकेट चल रहा था।
इसके लिए दूसरे देशों से भी फंडिंग हो रही थी।सुनवाई के दौरान इरफान शेख की ओर से पेश वकील नित्या रामकृष्णन ने ज़मानत दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूला। अपनी मर्जी से धर्मपरिवर्तन पर कोई रोक नहीं है। लिहाजा यूपी धर्मान्तरण विरोधी क़ानून यहां लागू नहीं होता है। उन्होंने दलील दी कि इस मामले में इरफान शेख के ऊपर आइपीसी की धारा 121 ए के तहत देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मामला भी दर्ज किया है, ये धारा लगाने कोई औचित्य नहीं है।
जांच एजेंसी को अब मेरी कस्टड़ी की ज़रूरत नहीं है। ऐसे में अब ज़मानत दिए जाने में कोई दिक़्क़त नहीं होनी चाहिए।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि इरफान शेख करीब एक साल से आपकी कस्टड़ी में है। क्या सरकार को अभी भी वाकई उसकी कस्टड़ी की ज़रूरत है। ASG के एम नटराज ने कहा कि अभी ट्रायल शुरू ही हुआ है।अगर कोर्ट चाहे तो ट्रायल 3-6 महीने में पूरा करने का निर्देश दे सकता है।सुनने और बोलने में अक्षम 450 से ज़्यादा लोगो का इस सिंडिकेट ने धर्मातरण किया है।
वो उनको यक़ीन दिलाता था कि सरकार के निर्देश पर वो ऐसे काम कर रहा है।इस तरह के अपराध का समाज पर बुरा असर पड़ता है।ये देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है।बहरहाल ASG नटराज में कहा कि वो दो हफ्ते में सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएंगे कि आगे इरफान शेख की कस्टड़ी की ज़रूरत है या नहीं। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 22 फरवरी के लिए टाल दी।