अर्चना कुमारी। लालू यादव खुद को यादवों का बड़ा नेता कहते हैं और बिहार का यादव भी इनके साथ सुर में सुर मिलाता रहा है लेकिन पिछले कुछ दिनों में तीन यादवो की हत्या कर दी गई और कोई पूछने वाला नहीं है। इनमें मरने वालों में दरोगा से लेकर पत्रकार और ठेकेदार शामिल है।
लेकिन एक भी यादव इंसाफ की मांग न कर रहा और न इनके समर्थन मे कोई यादव सड़क पर उतर कर विरोध कर रहा । बिहार का यादव समाज लालू तथा इनके बेटे तेजस्वी यादव के प्रति अटूट आस्था रखता है लेकिन जिस तरह से यादवों की हत्या हुई है, उससे तो साफ पता चलता है कि बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर हो गई है।
पहले मुस्लिम पशु तस्करो ने दरोगा नंदकिशोर यादव के सिर में गोली मारकर हत्या कर दी और इसके बाद पत्रकार विमल यादव को मौत के घाट उतारा गया और अब मोतिहारी में राजीव यादव की गोली मारकर हत्या की गई ।राजीव यादव ठेकेदारी करते थे, कहा जाता है कि हत्यारों ने पहले इनसे नाम पूछा और उसके बाद गोली ठोक दिया।
कहा जाता है कि 1990 के दशक में जब लालू यादव मुख्यमंत्री थे तो बिहार के लोग बताते हैं कि सबसे ज्यादा यादवों की हत्या हुई । क्योंकि लालू यादव दूसरी जातियों से यादवों को टक्कर लेने को कहते थे और इसका परिणाम समाज को भुगतना पड़ा था।
पहले दरोगा नंदकिशोर यादव की हत्या समस्तीपुर में फिर पत्रकार विमल यादव की अररिया में और अब ठेकेदार राजीव यादव की हत्या मोतिहारी में गोली मार कर किया गया है और यह तीनों घटना एक सप्ताह के अंदर हुआ है, जहां पर नीतीश /तेजस्वी यादव की सरकार है
बिहार वासियों को यह समझना चाहिए खास करके जाति के नाम पर वोट देने वालों को, जरूरी नहीं है कि आपकी जाति का कोई मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बन जाता है तो वह आपकी सुरक्षा की गारंटी ले लेगा ? बिहार में बहार है, चाचा नीतीश कुमार के साथ भतीजा तेजस्वी यादव की सरकार है!लेकिन हत्याएं रुकने का नाम नही ले रही है