कल कासगंज में हुये दंगो की वही कहानी है जो हमेशा से होता आया है। मीडिया और सोशल मीडिया का सेक्युलर गिरोह एक समुदाय को हिन्दू के रूप में चिन्हित कर के मुस्लिम समुदाय को सिर्फ ‘समुदाय’ में लपेट कर पूरे घटना कर्म के कथानक बदलने में लग गया है। किसी प्रकार के भ्रम में आने की जरूरत नही है, निर्भय यादव की कासगंज से यह जमीनी रिपोर्ट आयी है।
कल 26 जनवरी को अचानक एक खबर चली कि कासगंज जल रहा है क्योंकि दो समुदायों के बीच साम्प्रदयिक झड़प हो गयी है। फिर धीरे धीरे हमेशा की तरह narrative बदला गया कि, उपद्रवी भीड़ ने शांतिप्रिय समुदाय के आराधना स्थलों को आग के हवाले कर दिया और अंततोगत्वा उनको ही पीड़ित बता कर हम पर असहिष्णुता का ठप्पा लगा दिया जायेगा पर कासगंज की एक-एक घटना का साक्षी स्वयं मैं हूं। यहां पर पीड़ित शांतिप्रिय समुदाय नहीं बल्कि हम हैं।
कासगंज शहर के बिलराम गेट इलाके में मां चामुंडा पीठ है जहां चार दिन पहले जिला प्रशासन मुख्य प्रवेश द्वार पर गेट लगाने जा रहा था। शांतिप्रिय समुदाय के लोगों को पता चला तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में एकत्रित होकर ऐलान किया कि किसी भी हालत में गेट नहीं लगाने दिया जाएगा और सड़क जाम कर दी और धरना-प्रदर्शन किया। विरोध होता देख प्रशासन ने भी मंदिर पर गेट लगाने का विचार त्याग दिया। इस घटना को पुलिस-प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया परन्तु शांतिप्रिय समुदाय तो किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का मन बना चुका था।
26 जनवरी को ABVP के कार्यकर्ता बाइक पर तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। वे बिलराम गेट के तहसील रोड से से गुजर रहे थे जहां पर शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने उनका रास्ता रोक दिया और वंदेमातरम के नारे न लगाने की धमकी दी, देखते ही देखते उपद्रव हो गया और रैली में शामिल युवकों पथराव, एसिड से भरी बोतलों से हमला शुरू हो गया। प्रतिरोध करने पर शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी जिसमें कि चंदन की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी और बीसियों लोग बेहद गंभीर रूप से घायल हो गए। दो लोगों की उपचार के दौरान मृत्यु हुई है और कई लोग जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। अभी 7-8 युवक लापता हैं, जिनका कोई सुराग नहीं है। उसके बाद से शांति के पुजारियों ने पूरे कासगंज शहर को आग के हवाले कर दिया। पूरा शहर कर्फ्यू की जद में, जहां जिसे मौका लगता है वहां फायरिंग, आगजनी शुरू हो जाती है।
पूरे घटनाक्रम हमारे बच्चों की जान गई, कुछ लड़ रहे हैं जीने के लिए और मीडिया में narrative क्या बनाया जा रहा है कि शांतिप्रिय समुदाय पीड़ित है, उनके पूजास्थलों को जलाया गया। अरे साहब आप हमारे देश में, हमारे शहर में हमें हमारे ही मंदिर पर गेट नहीं चढ़ाने देते, आप हमें हमारे गणतंत्र दिवस पर प्रभात फेरी में वंदे मातरम के नारे नहीं लगाने देते, आप हमारे बच्चों की जान ले लेते हैं और फिर भी आप ही पीड़ित हुए…. गजब हाल है….!
साभार: निर्भय यादव की रिपोर्ट वाया पुष्कर अवस्थी के फेसबुक वाल से!
नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। IndiaSpeaksDaily इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति उत्तरदायी नहीं है।
Joshi Jee,
Aapka prayas srahniy hai…Badhte rahiyega.
Kahin bhee holi lyrics nhi mil paye.
Dhanyawad